रायगढ़. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ स्थित NTPC लारा में बिजली उत्पादन खतरे में पड़ गया है। पावर प्लांट से निकलने वाले फ्लाइ ऐश को डिस्पोज करने का रास्ता ग्रामीणों ने बंद कर दिया है। करीब 20 दिन से भूमि विस्थापित लारा और आसपास के गांव में प्रदर्शन कर रहे हैं। NTPC प्रबंधन का कहना है कि अगर डिस्पोजल नहीं हुआ तो सप्ताह भर में बिजली उत्पादन बंद करना पड़ेगा। इसके चलते छत्तीसगढ़ सहित 5 राज्यों में बिजली संकट खड़ा हो सकता है।
दरअसल, NTPC और लारा प्रोजेक्ट के भूमि विस्थापितों के बीच करीब 7 साल से विवाद की स्थिति बनी हुई है। एक बार फिर ग्रामीण आंदोलनरत हो गए हैं। कांदागढ़ से होकर गुजरने वाले एशडाइक का रास्ता 16 मई से ही बंद कर दिया है। ग्रामीणों ने वहां कांदागढ़ में राखड़ डाइक के गेट पर ही 4-5 फीट का गड्ढा खोद कर मलबा डाल दिया है। इसके बाद से प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच लगातार बैठकें हुई, पर नतीजा नहीं निकला।
फ्लाइऐश का डिस्पोजल इसलिए जरूरी
बिजली उत्पादन के लिए प्लांट के बॉयलर में जलने वाले कोयले से बनी राख कन्वेयिंग के माध्यम से बाहर आती है। इसे ही डिस्पोज किया जाता है। लारा से हर रोज 12 हजार मीट्रिक टन फ्लाइ ऐश निकलता है। 16 मई तक हर दिन नेशनल हाईवे के काम के लिए 6 हजार मीट्रिक टन ओडिशा भेजा जा रहा था। अब NH का काम भी बंद है। वहीं ग्रामीणों ने रास्ता बंद कर रखा है। इसके चलते उसके डिस्पोजल पर संकट है। हालांकि इसी गांव में अस्थायी छोटा डाइक बनाया गया है, पर वह भी एक हफ्ते में भर जाएगा।
इन राज्यों को पड़ेगा प्रभाव
NTPC लारा 1600 मेगावाट बिजली उत्पादन करता है। इसमें 800 मेगावाट बिजली छत्तीसगढ़ को और 800 मेगावाट मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दमन, दीव जैसे राज्यों को भेजी जाती है।। NTPC लारा ने पिछले महीने 800 मेगावाट बिजली छत्तीसगढ़ को देना बंद किया तो संकट खड़ा हो गया। अब फ्लाई ऐश के विवाद से समस्या गहरा सकती है। फिलहाल NTPC प्रबंधन अब मदद के लिए प्रशासन की ओर देख रहा है।
अब जानिए विवाद का कारण क्या है
NTPC लारा के भू-विस्थापित लगातार नौकरी की मांग कर रहे हैं। तमाम विरोध और प्रदर्शन के बाद 16 दिन पहले NTPC प्रबंधन ने 22 पदों के लिए वेकेंसी निकाली। इसमें ITI, इलेक्ट्रिशियन और फिटर, असिस्टेंट जनरल ट्रेनी, लैब असिस्टेंट, डिप्लोमा इंजीनियर इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल जैसे पद शामिल हैं। इससे पहले भी 79 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। अभी जो वेकेंसी निकाली गई उसमें अधिकांश पद रिजर्व कोटे के हैं।
हालांकि प्रबंधन ने भू-विस्थापितों को ही आवेदन करने के लिए कहा गया है। वहीं दूसरी ओर आंदोलनकारियों की मांग हैं कि सभी विस्थापितों को नौकरी दी जाए। पिछले 6 साल से प्रशासन, NTPC और प्रभावितों के बीच बैठक होती आ रही है। प्रभावितों का कहना है कि जमीन लेते वक्त नौकरी का वादा किया गया था। वहीं प्रबंधन का कहना है कि केंद्र सरकार का उपक्रम है, नौकरी तो प्रावधान के तहत ही मिलेगी। फ्रेंचाइजी या ठेका पद्धति पर नौकरी का प्रस्ताव विस्थापितों को स्वीकार नहीं है।
नौकरी की मांग पुरानी है, मामले को सुलझाया जाएगा
ADM आरए कुरुवंशी कहते हैं कि भू-विस्थापित की नौकरी की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं। मामला अभी उलझा हुआ है। हालांकि फ्लाई ऐश बांध को बंद करने की जानकारी को लेकर NTPC प्रबंधन और आंदोलनकारियों के बीच बातचीत की जाएगी। बिजली उत्पादन प्रभावित नहीं होगा, इस मामले को जल्द सुलझाया जाएगा।
हफ्तेभर में स्थिति नहीं सुधरी तो बिजली सप्लाई प्रभावित
NTPC के PRO बिष्णु साहू बताते हैं कि कांदागढ़ में जहां फ्लाई ऐश डिस्पोज होता है, उस बांध को आंदोलनकारियों ने 16 मई से गड्ढा खोद कर और मलबा डालकर रास्ते को बंद कर रखा है। हमने अस्थायी व्यवस्था कर रखी है, लेकिन वह व्यवस्था ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकती। पावर प्रोडक्शन प्रभावित होगा, हफ्तेभर बाद संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है।