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मानव मिशन गगनयान के लिए इस्तेमाल होगी हरित ऊर्जा, इसरो प्रमुख बोले- ‘पर्यावरणीय नुकसान को कम करने की जरूरत’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए हरित ऊर्जा (प्रणोदक) बना रहा है। इसका इस्तेमाल रॉकेट के हर चरण में होगा। यह जानकारी इसरो के प्रमुख के सिवन ने दी।

एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेकभनोलॉजी के 16वें दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में सिवन ने कहा, भारत लगातार आर्थिक विकास पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। ऐसे में देश को हरित तकनीक अपनाकर पर्यावरणीय नुकसान को सीमित करने की जरूरत बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि इसरो ने अंतरिक्ष में इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम आयन बैटरी बनाई है। इस तकनीक का बडे़ पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जा रहा है। इसरो अपने मिशनों के लिए पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) का इस्तेमाल करता है, जो चार चरणों वाला रॉकेट है। इसमें हर चरण में ईंधन का प्रयोग किया जाता है, जो रॉकेट को ऊपर की ओर ले जाते हैं, ताकि सैटेलाइट को उसकी तय कक्षा में स्थापित किया जा सके।

वहीं, जियो स्टेशनरी लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसके ऊपरी चरण में क्रायोजेनिक ईंधन का इस्तेमाल होता है। गगनयान का प्रक्षेपण दिसंबर, 2021 में किया जाना है। इस महीने की शुरुआत में ही इसरो ने संकेत दिया था कि कोरोना महामारी के चलते गगनयान के प्रक्षेपण में करीब साल भर की देरी हो सकती है।

देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम शानदार विफलताओं की नींव पर कायम
सिवन ने छात्रों से कहा कि आप विफल हो सकते हैं, लेकिन हर विफलता सबक देती है। मैं बेहद यकीन के साथ कह सकता हूं कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शानदार विफलताओं की नींव पर बना है और हर विफलता के कारण हमारी प्रणाली में सुधार हुआ है।

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