कोरोना काल में न हो बच्चों की पढ़ाई का नुकसान, इसके लिए चारूशीला ने अपनाया अनूठा तरीका
गोरखपुर । कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने कई समस्याएं पैदा कीं। इनमें से एक थी बच्चों की पढ़ाई। ऐसे में अयोध्या दास राजकीय कन्या इंटर कॉलेज (गोरखपुर) में हिंंदी की शिक्षिका चारूशीला सिंह जब शैक्षिक वीडियो तैयार करने की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया। नतीजा, आज छात्र स्वयंप्रभा चैनल पर उनके वीडियो से पढ़ रहे हैं। कक्षा नौ से 12वीं तक, यूपी बोर्ड के हिंदी पाठ्यक्रम के विभिन्न अध्याय पर उनके 25 शैक्षिक वीडियो प्रसारित हो चुके हैं।
छात्र से लेकर शिक्षिका बनने तक का चारूशीला सिंह का सफर स्वर्णिम रहा। बचपन से ही पढ़ने में मेधावी रहीं चारू के अंदर कुछ अलग करने का जुनून था। यही वजह है कि पहले एक मेधावी छात्र और अब एक शिक्षिका के रूप में उनकी एक अलग पहचान है। चारू एक कवयित्री भी हैं और बड़े-बड़े साहित्कारों के साथ दर्जनों कवि सम्मेलनों में मंच साझा कर चुकी हैं। संत कबीर नगर जनपद के देवरिया गंगा में एक जनवरी, 1981 को जन्मी चारू ने प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर बांसी से ग्रहण की।
हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में विद्यालय की टॉपर रहीं। राजा रतन सेन डिग्री कॉलेज से वर्ष 2000 में स्नातक उत्तीर्ण करने के बाद हीरालाल रामनिवास पीजी कॉलेज खलीलाबाद से 2003 में एमए किया। 2002 में सिद्धार्थनगर से बीएड किया। 2003 में केंद्रीय विद्यालय गोरखपुर में शिक्षिका के रूप में पहली तैनाती हुई। वर्तमान में 2012 से राजकीय एडी कन्या इंटर कॉलेज में हिंदी की सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं।
संस्कार भारती से भी जुड़ी हैं :
साहित्य के क्षेत्र में रुचि को देखते हुए संस्कार भारती गोरखपुर ने चारू को प्रांत एवं महानगर में साहित्य के प्रचार-प्रसार का दायित्व भी सौंपा हैं। जब से यह जिम्मेदारी मिली है तब से दो दर्जन से अधिक उदीयमान छात्र-छात्रओं को कवि सम्मेलनों के जरिये न सिर्फ मंच प्रदान किया, बल्कि उन्हें लेखन के लिए भी प्रेरित किया।
कोरोना काल ने किया वीडियो बनाने के लिए प्रेरित :
चारू कहती हैं कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि बच्चों के लिए शैक्षिक वीडियो तैयार करूंगी। सच ही कहा गया है कि जब परिस्थितियां विपरित होती हैं तब व्यक्ति उससे निकलने के लिए अपनी संपूर्ण ऊर्जा झोंक देता है। मैंने भी यही किया और आज परिणाम सबके सामने हैं। शैक्षिक वीडियो तैयार करने का यह मेरा पहला अनुभव रहा। इसके पहले मैंने कभी पढ़ाते हुए वीडियो नहीं शूट कराया। पहले थोड़ी झिझक हुई, लेकिन धीरे-धीरे सहज होती गई। जैसे-जैसे वीडियो स्वीकृत होते गए, वैसे-वैसे उत्साह बढ़ता गया। प्रोत्साहन मिला तो उत्साह बढ़ा और लोगों ने हाथों हाथ लिया। मुझे इस कार्य के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक योगेंद्रनाथ सिंह व डीआइओएस ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया के अलावा सिद्धार्थनगर के राजा रतन सेन डिग्री कॉलेज में बीएड के विभागाध्यक्ष रह चुके मेरे पिता नर्वदेश्वर सिंह ने भी प्रेरित किया।
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना जारी रखेंगी :
स्कूल खुलने के बाद भले ही ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हो रही हैं, लेकिन चारू कहती हैं कि वह ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देना जारी रखेंगी। विषय से हटकर बच्चों को प्रेरित करने के लिए भी वीडियो तैयार करेंगी। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के अंदर परीक्षा को लेकर जो डर रहता है उसे दूर करने का प्रयास करेंगी।