75 साल पहले बिस्मिल्लाह खां की शहनाई से शुरू हुई आजाद भारत का पहला दिन…
75 साल पहले बिस्मिल्लाह खां की शहनाई से शुरू हुई आजाद भारत का पहला दिन, तिरंगा लहराते ही आसमां में उतरा इंद्रधनुष
आज आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि 75 साल पहले आजादी की वो पहली सुबह बिस्मिल्लाह खां की शहनाई से निकले राग भैरवी के सुर से पूरा देश गूंजा था। उसी शहनाई से तो 1947 के अगस्त की 15वीं तारीख शुरू हुई थी। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान उन कलाकारों में गिने जाते हैं जिन्होंने देश का नाम विश्वभर में गर्व से ऊंचा किया।
बता दें 75 साल पहले पूरा देश 14 अगस्त की मध्यरात्रि आजादी के पहले सूरज का इंतजार कर रही थी। संसद भवन में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आवाज गूंज रही थी। वे कह रहे थे – इस वक्त जब पूरी दुनिया नींद के आगोश में सो रही है, हिंदुस्तान एक नई जिंदगी और एक नई आजादी के वातावरण में अपनी आंखें खोल रहा है। इधर नेहरू संसद भवन के अंदर बोल रहे थे और उसी समय बाहर मूसलाधार बारिश में हजारों भारतीय आजादी का जश्न मना रहे थे। ।
वो सुबह आई और बिस्मिल्लाह खां की शहनाई के साथ उसकी शुरुआत हुई। इस सबसे दूर आम भारतीयों के बापू कलकत्ता के बेलियाघाट में उपवास धारण किए बैठे थे। क्योंकि बंटवारे के बाद बंगाल और पंजाब में अमन छिन गया था। लेकिन वो दिन सारी बलाएं दूर करने आया था, इसलिए दोपहर होते-होते कलकत्ता के भयानक दंगाग्रस्त इलाकों में शांति और भाईचारा होने लगा। इससे बापू को शांति मिली
शाम को दिल्ली की सड़कों पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। 5 बजे इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का तिरंगा झंडा फहराना था। अनुमान था कि वहां 30 हजार लोग आएंगे, लेकिन 5 लाख लोग आ पहुंचे थे। माउंटबेटन की बग्घी के चारों ओर इतनी भीड़ थी कि वे अपनी बग्घी से उतरने का सोच भी नहीं सकते थे। जब प्रधानमंत्री नेहरू तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़ रहे थे तब आसमान में एक इंद्रधनुष छा गया। खुशी, उत्साह और उम्मीद से भरे सात रंगों और सातों सुरों ने जश्न के उत्साह को आसमान पर चढ़ा दिया था। ऐसा था आजाद ख्यालों वाले भारत का वो पहला दिन।