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फिजूलखर्ची पर नियंत्रण करने: एक आवश्यक सामाजिक पहल हो -हेमन्त कुमार पटेल

नरेन्द्र पटेल @खरसिया।आधुनिक समाज में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। धनाढ्य वर्ग द्वारा अपनी संपन्नता का प्रदर्शन करना अब आम चलन बन चुका है, लेकिन इसका प्रतिकूल प्रभाव मध्यम और निम्न वर्ग पर पड़ता है। आर्थिक दबाव के कारण ये वर्ग अपनी आय से अधिक खर्च करने पर मजबूर हो रहे हैं, जिससे वे कर्ज और वित्तीय समस्याओं के जाल में फंस जाते हैं।

इस समस्या को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय अघरिया समाज, क्षेत्रीय इकाई खरसिया ने समाज में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा है। संगठन के अध्यक्ष हेमन्त कुमार पटेल के अनुसार, पारंपरिक और सादगीपूर्ण आयोजनों को हमारे स्वजातीय बंधुओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि अनावश्यक खर्च और दिखावे के प्रचलन को रोका जा सके।

पारंपरिक सादगीपूर्ण आयोजनों की महत्ता

अखिल भारतीय अघरिया समाज में सादगीपूर्ण आयोजनों का एक लंबा इतिहास रहा है। ये न केवल सांस्कृतिक और पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखते हैं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी व्यावहारिक होते हैं। शादी,दशगात्र,षष्ठी आदि कार्यक्रम पहले एक सामान्य और गरिमामयी तरीके से आयोजित किए जाते थे। लेकिन आधुनिकता के साथ, प्रिवैडिंग शूट,गोद भराई,जन्मोत्सव जैसे नए कार्यक्रमों का प्रचलन बढ़ा है,जिन पर भारी खर्च किया जाता है।

फिजूलखर्ची के प्रभाव

  1. आर्थिक बोझ: निम्न और मध्यम वर्ग के लोग आर्थिक दबाव में आकर अपनी जरूरतों से अधिक खर्च करते हैं, जिससे वे ऋण और अन्य वित्तीय समस्याओं में फंस जाते हैं।
  2. सामाजिक असमानता: दिखावे की होड़ समाज में तनाव और असमानता को बढ़ावा देती है।
  3. पारिवारिक तनाव: अत्यधिक खर्च के कारण परिवारों में तनाव और विवाद बढ़ते हैं।

समाज का अनुरोध और समाधान

अखिल भारतीय अघरिया समाज का मानना है कि अनावश्यक खर्च और दिखावे पर रोक लगाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। इसके तहत:परंपरागत, सादगीपूर्ण आयोजनों को प्राथमिकता दी जाए।दिखावे और प्रतिस्पर्धा के लिए किए जाने वाले कार्यक्रमों जैसे कि प्रिवैडिंग शूट, गोद भराई,जन्मोत्सव आदि पर सामाजिक रूप से दूरी बनाए जाए।

समाज के हर वर्ग को जागरूक किया जाए कि सादगीपूर्ण जीवनशैली अपनाने से न केवल आर्थिक स्थिरता आएगी,बल्कि पारिवारिक और सामाजिक संबंध भी मजबूत होंगे।

निष्कर्ष

अखिल भारतीय अघरिया समाज के बंधूओ के परिवार में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने का प्रयास एक सकारात्मक पहल है, जो आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समानता के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह पहल केवल अघरिया समाज तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि अन्य समुदायों और पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बननी चाहिए। सादगीपूर्ण जीवनशैली अपनाकर ही हम समाज में सामंजस्य और खुशहाली ला सकते हैं।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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