रायगढ़।
तमनार और घरघोड़ा में पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर एनजीटी ने पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित की थी। इसकी वसूली दो महीने के अंदर करने का आदेश भी जारी किया था। 15 अप्रैल को अवधि समाप्त हो रही है लेकिन अभी तक केवल जिंदल समूह के दो प्लांटों की ही राशि जमा हो सकी है।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के कारण रायगढ़ जिले में कई काम हो रहे हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हो या खदान प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण, हर काम को स्वीकृति तभी मिली जब एनजीटी ने अल्टीमेटम दिया। शिवपाल भगत व अन्य की याचिका के बाद उद्योगों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण को रोकने एनजीटी ने कड़े आदेश दिए थे। एनजीटी की कमेटी ने ही कई बार प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें प्रदेश के पीडब्ल्यूडी सचिव और हेल्थ सेक्रेटरी के अलावा सात उद्योगों के विरुद्ध पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित की थी। 15 फरवरी को जारी आदेश में कहा गया था कि दो महीने के अंदर पूरी राशि वसूली जानी है। सीपीसीबी और छग पर्यावरण संरक्षण मंडल को राशि वसूलने का आदेश दिया गया था। डेडलाइन तकरीबन खत्म हो चुकी है। अब तक केवल जेएसपीएल और जेपीएल ने ही क्षतिपूर्ति राशि जमा की है।
इन पर है जुर्माना
एनजीटी ने 15 फरवरी को आदेश दिया था, जिसमें दो महीने में सभी नौ पक्षकारों से क्षतिपूर्ति जमा लेने को कहा गया था। इसमें प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को एक करोड़ रुपए, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एक करोड़ रुपए, टीआरएन एनर्जी 1,82,40,600 रुपए, महावीर एनर्जी 1,42,90,000 रुपए, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज 2,09,40,000 रुपए, अंबुजा सीमेंट 75.90 लाख रुपए, सीजीएसपीजीसीएल 75.90 लाख रुपए, जेएसपी डोंगामौहा 11.70 लाख रुपए और जेपीएल तमनार 48.30 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति जमा की जानी है। छग पर्यावरण संरक्षण मंडल से मिली जानकारी के मुताबिक केवल जेएसपीएल और जेपीएल ने ही राशि जमा की है।