गांव की महिलाएं अब गांव में ही बना रही शहर में बिकने वाली कूकीज
गांव की महिलाएं अब गांव में ही बना रही शहर में बिकने वाली कूकीज
दुर्ग -अगर हम अपने पुराने समय पर नजर डालें तो हमेशा से ही दुकानों में मिलने वाली चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक किसी मेट्रो सिटी के फैक्ट्री से होकर ही अपना रास्ता दुकान के लिए तय करती थी, लेकिन वर्तमान परिद्श्य अब बदल गया है। अब गांव की महिलाएं गांव में ही कूकीज का निर्माण कर रही हैं।
जय माँ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह पितोरा की महिलाओं ने गांव में ही ट्रेनिंग लेकर चॉकलेट की कुकीज़ का व्यवसाय शुरू किया है। समूह की महिलाएं रंग-बिरंगी और मुंह में स्वतः ही घुल जाने वाली स्वादिष्ट कुकीज़ का निर्माण कर रही है। जय माँ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष सुलोचना रात्रे ने बताया कि उनके समूह में 10 महिलाएं काम कर रही हैं जो प्रतिदिन 3 किलो चॉकलेट कुकीज़ का निर्माण करती हैं। प्रत्येक चॉकलेट कुकीज को समूह द्वारा मात्र 4 रुपये की दर पर दूकानदारों को मुहैया कराया जाता है, जिससे दुकानदार भी 5 रुपये में बेचकर एक रुपये मुनाफा कमा रहे है। महिलाओं को उपयुक्त उपलब्ध मार्केट कराने के लिए शासन की योजना बिहान बाजार का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि इसी से ये महिलाएं नवाचार का हिस्सा बन पायी है।
उनका कहना है कि पिछले वर्ष के बिहान बाजार में उनके द्वारा आर्टिफिशियल ज्वेलरी का स्टॉल दुर्ग में लगाया गया था। आर्टिफिशियल ज्वेलरी की बिक्री तो हुई लेकिन जब उन्होंने भीड़ का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पाया कि बाजार में आए लोगों की ज्यादा रुचि खाने के स्टाल में होती है। इसके पश्चात एक दिन उनके ग्राम पंचायत में महिला समूह की ट्रेनर पूजा से उनकी मुलाकात हुई, ट्रेनर ने बेकरी से संबंधित उत्पाद जैसे कि केक और कुकीज़ के बारे में सुलोचना को जानकारी उपलब्ध कराई। इसके लिए महिला स्व-सहायता समूह प्रभारी सावित्री यादव ने भी जय माँ लक्ष्मी समूह का प्रोत्साहन किया। सुलोचना ने सोचा चॉकलेट बच्चों से लेकर सभी आयु वर्ग के लोगों को पसंद आता है, यही सोचकर पूरे समूह ने इसकी शुरुआत कर दी। आज समूह के द्वारा वाइट पॉन्ड चॉकलेट और डार्क चॉकलेट जैसे कुकीज़ का निर्माण किया जा रहा है और आगे भी विभिन्न वैरायटी के कूकीज समूह तैयार करने का निर्णय ले रही है। वर्तमान में समूह प्रतिदिन 300 से 400 का कुकीज़ निर्माण कर रही है । जिसे विभिन्न जिलों में लगने वाले बिहान बाजार के अलावा कोड़िया, मेडे़सरा और मुरमुंदा के डेली निड्स शॉपस और बेकरी में सप्लाई किया जाता है।
उन्होंने बताया कि लोकल शॉप और बेकरी के अलावा बर्थडे, सगाई और शादी जैसे सेलिब्रेशन में आसपास के क्षेत्र के लोग आर्डर देते हैं। कुकीज़ के ताजा और टेस्टी होने से इसका मौखिक प्रचार भी शीघ्रता से हो रहा है। वर्तमान में डार्क चाकलेट का उपयोग मूड स्वींग को रोकने के लिए भी किया जाता है। जिससे इन कुकीज की डिमांड बहुत अच्छी है और यह बड़े ब्रांड के उत्पादों को भी टक्कर दे रही है। लोग अपनी जागरूकता का परिचय देकर लोकल उत्पाद की खरीदारी भी बढ़-चढ़कर कर रहे है, जिसका प्रतिसाद इन कुकीज को भी मिल रह है।
जय माँ लक्ष्मी समूह की महिलाएं चाकलेट कुकीज के अलावा देशी शरबत जिसे की वो देशी रसना भी कहती है, का उत्पाद कर रही हैं। समूह में कार्य करने वाली सहयोगी हेमलता पात्रे बताती है कि उनके द्वारा बनाया गया, यह शरबत रसायन रहित और स्वास्थ्य वर्धक है। इस शरबत में केवल प्राकृतिक उत्पाद और ग्लूकोज का ही उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि सभी मौसम केे लिए यह देशी रसना सर्वश्रेष्ठ पेय उत्पाद है। इसके अलावा समूह की महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी, मोमबत्ती, वाशिंग पाउडर, फिनाईल और मकरम के धागे से बना झूमर भी बनाती है। उन्होंने बताया कि आस-पास के प्रबुद्ध लोग भी समूह की सहायता कर रहे हैं । महिला समूह की योग्यता को देखते हुए समाज सेविका इन्द्राणी निषाद ने रायपुर के बिहान के लिए जय माँ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह को एक बड़ा आर्डर दिया था। जिससे उन्हें लगभग 7 हजार रुपये की कमाई हुई थी।