खरसिया नगर पालिका चुनाव: वादों की गंगा सूखी,नारों की बारिश जारी!

खरसिया। नगर पालिका परिषद चुनाव आते ही सियासत का तापमान बढ़ने लगा है। गलियों में झंडे लहरा रहे हैं,मंचों से भाषण बरस रहे हैं, लेकिन जनता के सवाल अभी भी भूखे बैठे हैं।
“चाय से शुरू हुई थी सरकार,गाय पे अटक गई और विकास की मौसी कई साल में रास्ते से भटक गई!“ – यह तंज़ इस बार के चुनावी माहौल पर सटीक बैठता है।
वादों का चक्रव्यूह, जनता अभिमन्यु
हर चुनाव की तरह इस बार भी ‘विकास’ सबसे ज्यादा चर्चा में है—लेकिन सिर्फ पोस्टरों में। सड़कों के गड्ढे, टूटी नालियां, जलभराव और सफाई की बदहाली अब चुनावी मुद्दे नहीं रहे। नेता जी विकास को एक खोए हुए रिश्तेदार की तरह याद कर रहे हैं, जिसे पिछली बार ‘आने वाला है’ कहकर टाल दिया गया था।
भक्त और विरोधी: सोशल मीडिया में महाभारत
चुनावी रैलियों से ज्यादा घमासान इस बार फेसबुक और व्हाट्सएप पर हो रहा है। जहां समर्थक ‘अच्छे दिनों’ की कहानियां सुना रहे हैं,वहीं विरोधी ‘बुरे हालात’ की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं।
जनता पूछ रही है: काम दिखाओ,प्रचार नहीं!
खरसिया की जनता अब पोस्टर-बैनरों की बजाय असली काम देखना चाहती है। लेकिन नेताजी के भाषणों में योजनाएं अब भी ‘आने वाली हैं’, और जनता की तकलीफें ‘समझी जा रही हैं’।
चुनाव नज़दीक हैं,वादों की बहार है,लेकिन जनता के मन में एक ही सवाल है—
“विकास की मौसी को किसी ने देखा क्या?”