श्री मदन मोहन गौशाला खरसिया को मिलेगा यति यतनलाल राज्य अलंकरण सम्मान
1 नवम्बर को होने वाले छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में किया जाएगा सम्मान
अहिंसा एवं गौसेवा के क्षेत्र में प्रदान किया जाने वाला राज्य का सर्वोच्च सम्मान…
मुकेश लहरें @खरसिया – श्री मदन मोहन गौशाला के गौसेवा कार्यों से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2022 में खरसिया की श्री मदन मोहन गौशाला को यति यतनलाल राज्य अलंकरण सम्मान हेतु चयनित किया है।गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा राज्योत्सव के समय दिया जाने वाला यह सम्मान अहिंसा एवं गौसेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान के क्षेत्र में दिया जाता है।
सर्वविदित है कि खरसिया की श्री मदन मोहन गौशाला तत्कालीन मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी एवं स्वतंत्रता पूर्व की गौशालाओं में से एक है,जिसकी नींव 25 दिसंबर 1946 को पंडित मदन मोहन मालवीय जी के जन्मदिवस पर रखी गई थी जो वर्तमान समय तक निरन्तर गौसेवा के क्षेत्र में प्रभावशील है।
महामना मदन मोहन मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया एवं उन्हीं के नाम पर गौशाला का नाम श्री मदन मोहन गौशाला रखा गया। सन 1946 से स्थापित यह गौशाला सतत गौसेवा के क्षेत्र में तात्कालीन मध्यप्रदेश में भी ख्यातिप्राप्त गौशाला थी सतत गौसेवा के क्षेत्र में कार्य करते हुए क्षेत्र में चिन्हित थी।वर्ष 2014 में युवा नेतृत्व द्वारा आगे बढ़कर नवयुवकों के दल ने गौशाला का दायित्व अपने हाथों में लिया एवं गौशाला के आधुनिकीकरण के साथ साथ धारणीय प्रबंधन कर इस गौशाला को नई दिशा दी जिससे कि गौशाला में शैक्षणिक भ्रमण एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों से जुड़े प्रबुद्धजनों का भी आना जाना गौशाला में लगातार होने लगा।
वर्तमान में श्री मदन मोहन गौशाला में कुल 262 गोवंश का संरक्षण किया जाता है जिसमें 23 दुधारू नस्ल की गायों के माध्यम से 300 लीटर दूध 500 मि.ली. के पैकेट बनाकर नगर के दुग्ध वितरण केंद्रों में वितरित किया जाता है एवं उसी दूध एवं दान अनुदान से प्राप्त आय से गौशाला के अन्य 239 बिना दूध देने वाले गोवंश का भरण पोषण,उपचार आदि किया जाता है जिसमें चोटिल गोवंश भी शामिल हैं।श्री मदन मोहन गौशाला में गौवंश के लिए हरा चारा,धान,गेहूँ, गौशाला के खेत में उत्पादन किया जाता है जिसकी पिसाई गौशाला में ही स्थापित चक्की में की जाती है।जिससे कि गौवंश को पौष्टिक युक्त सर्वोत्तम आहार मिल सके।साथ ही साथ गौशाला में 25 घन मीटर गोबर गैस प्लांट का निर्माण भी किया गया है जिससे कि गौशाला को चारा पकाने हेतु मुफ़्त बायोगैस एवं ग़ोबर गैस से निकला वेस्टेज त्वरित खाद के रूप में प्राप्त होता है जो कि गौशाला के खेतों में उर्वरक के रूप में उपयोग में लिया जाता है एवं अतिरिक्त खाद किसानों को उचित मूल्यों पर बेच दिया जाता है।
इसके अलावा गौशाला में ग़ोबर से बनी लकड़ी छेना एवं अन्य उत्पाद भी तैयार किये जाते हैं तथा गौवंश के उचित रखरखाव एवं देखभाल के लिए आधुनिक शेड,वृक्षारोपण,शॉवर फॉग आदि की व्यवस्था भी की गई है जिससे भरी गर्मी में भी गौवंश को गर्मी एवं धूप से राहत मिलने के साथ साथ शुद्ध वातावरण प्राप्त होता है।