उद्योग घराने के कोल डस्ट का ऐसा गुबार कि एनएच49 दिन में ही छा जाता है अंधेरा…
खरसिया।क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है।एनजीटी की सख्त हिदायतों का भी असर नहीं है। धूल-मिट्टी के साथ कोयला और राख के गुबार का असर ऐसा है कि कई बार दिन में भी गहरी धुंध से शाम जैसा नजारा हो जाता है। सड़कों की सफाई और पानी के छिड़काव नहीं हो रहा है। बारिश की शुरुआत के साथ प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है।
कुनकुनी के पास स्थिति बहुत ही खराब
खरसिया तहसील मुख्यालय से जिला मुख्यालय आवाजाही कर रहे शासन सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधि,अधिकारियों द्वारा आंख बंद कर लेने के वजह से क्षेत्र लोगों पर उद्योग घराने का मनमाना रवैए सड़क पर खुली आंखों में दिख जाएगा। क्षेत्र के लोगों में आक्रोश सुलगने लगा है घोर लापरवाही को लेकर…
भारी भरकम वाहन JSW,SKS,एथेना,डीबी, रुक्मणी पावर प्लांट, हेक्सा,वेदांता,विमला साइडिंग,भुपदेवपुर साइडिंग,छाल, घरघोड़ा की कई कोल खदानें वाहन इसी क्षेत्र से होकर निकलता हैं। इसके अलावा देहजरी,छोटे डुमरपाली, राबर्टसन,रानीसागर,कुनकुनी चपले टेमटेमा नहरपाली दर्रामुड़ा,भुपदेवपुर, पतरापाली,टुड्री,उच्चपीड़ा,ओड़ेकरा कई सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की बिजली,स्टील,पावर परियोजनाएं हैं। इन खदानों उद्योग घरानों से निकलने वाला कोल डस्ट व परियोजनाओं की राख हर वक्त वातावरण में फैली रहती है। कई किमी दूर के रहवासी इससे प्रभावित होते हैं।
पूरे इलाके को क्रिटिकल पाल्यूटेड एरिया घोषित करते हुए नियमित सड़क पर पानी के छिड़काव,राख के गुणवत्ता पूर्ण निस्तारण, कोल ढुलाई को लेकर कई मानक तय किए जाने चाहिए। इन मानकों की अनदेखी के चलते यहां प्रदूषण की स्थिति खराब है। सड़क पर गिरने वाली राख और कोयले के कण वाहनों की तेज रफ्तार के साथ हमेशा हवा में उड़ते हैं। इससे सड़क पर धुल का गुबार बराबर बना रहता है।
चार पहिया वाहनों में शीशा बंद कर सफर करने वाले तो फिर भी राहत में रहते हैं,लेकिन साइकिल ,बाइक साइकिल,टेंपाे या अन्य सवारी वाहनों में सफर करने वाले आम राहगीरों को अव्यवस्था से जूझना पड़ता है। लगातार इस माहौल में रहने का असर उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। पिछली शासन में कुछ दिनों तक ने लिए हाइवे पर कोल डस्ट की सफाई और पानी छिड़काव के निर्देश कुछ जगहों पर व्यवस्था करा थे, लेकिन यहां निर्देशों के पालन के नाम पर शासन बदलते ही बंद कर दिया गया है।