जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में एक-एक कर 26 पार्षदाें से की मुलाकात, दोपहर से शुरू हुई चर्चा शाम तक चली
रायगढ़।अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस संगठन ने पार्षदों से चर्चा करने के लिए दो पर्यवेक्षक नियुक्त किए। इसमें बीरगांव नगर निगम के महापौर नंदलाल देवांगन और रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे हैं।
दोनाें पर्यवेक्षक पार्षदों से चर्चा करने मंगलवार की दोपहर करीब तीन बजे जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय पहुंचे। यहां एक-एक पार्षदों से बंद कमरे में मुलाकात की। सूत्रों की माने तो पार्षदाें से पहले मेयर के प्रति नाराजगी का कारण पूछा गया।
नगर निगम में भाजपा के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से शहर सरकार के सिर पर खतरा मंडराने लगा है। इस बात को लेकर कांग्रेस भी अलर्ट मोड पर है। संगठन की ओर से आए दो पर्यवेक्षकाें ने जिला कांग्रेस कमेटी में एक-एक कर पार्षदों से मुलाकात की और उनका मिजाज भांपा। मंगलवार दोपहर को पहुंचे पर्यवेक्षकों ने शाम तक पार्षदों से चर्चा की।
बताया जा रहा सब ठीक ठाक
पार्षदों की थाह लेने पहुंचे पर्यवेक्षकों से जब चर्चा की गई तो उनका कहना था कि अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस को किसी प्रकार से क्रास वेटिंग का खतरा नहीं है। वहीं उन्हाेंने यह दावा भी किया कि इसमें भाजपा को मूंह की खानी पड़ेगी। कांग्रेस पहले भी एकजुट थी और अब भी एक जुट ही है। पार्षदों में जो थोड़ी बहुत नाराजगी थी वह अब दूर हो चुकी है। हालांकि भाजपा इससे इतेफाक नहीं रख रही है।
नगर निगम के महापौर के खिलाफ भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है। खास बात यह है कि नगर निगम के 48 वार्डों में से कांग्रेस 26 पार्षदों के साथ पूर्ण बहुमत में है। वहीं भाजपा के पास 21 पार्षद है। एक पार्षद का निधन होने पर वह वार्ड रिक्त है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिंग 15 सितंबर तय की गई है। इसको लेकर कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों की ओर से तैयारी चल रही है। भाजपा का यह मानना है कि महापौर से असंतुष्ठ पार्षदों के क्रास वोटिंग से शहर में कांग्रेस की सरकार धराशायी हो जाएगी।
इस बीच यह बात सामने आ रही है कि कई पार्षदों ने पर्यवेक्षकों के समक्ष महापौर को लेकर नाराजगी जाहिर की। कांग्रेस को दरअसल इस बात की चिंता भी है कि यदि अविश्वास कांग्रेस के विपक्ष में यदि बात होती है तो इसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। बंद कमरे में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई। कांग्रेस कार्यालय में इस बात को लेकर दिन भर गहमा-गहमी का माहौल रहा। सुबह के समय जहां रेल रोको आंदोलन को लेकर बैठक हुई। वहीं दोपहर बाद अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चा का दौर शुरू हुआ, जो शाम करीब छह बजे तक चला।