शहीद नंदकुमार पटेल शब्दों की परिधि से ऊपर है जिनके व्यक्तित्व का विस्तार…
राहूल गांधी भी जिनकी बातों को गंभीरता से सुनते थे
11वीं पुण्य तिथि शहादत दिवस पर विशेष –
भोज राम पटेल @रायगढ़। यूं तो शब्दों में बता पाना बहुत मुश्किल है। बिरले ही ऐसे लोग होते हैं जो अपने कार्य, व्यवहार और असाधारण व्यक्तित्व, विशेष कृतित्व से अपनी एक अलग पहचान,अलग नाम बना पाते हैं । शहीद नंदकुमार पटेल उन्ही बिरले जनों में शामिल हैं जो अपनी अद्भुत कार्यशैली और व्यवहार से जनमानस में इस प्रकार की छवि प्रतिष्ठित कर गए जो उनके जाने के एक दशक बाद आज भी जन-जन की जुबान पर चर्चा में है कि जनप्रतिनिधियों को तो नंदकुमार पटेल जैसे होना चाहिए यह उनके जीवन की उपलब्धि का असली मापदंड है। आपका जीवन यदि दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाए, आपकी कार्यशैली अनुकरणीय हो जाए आपका व्यक्तित्व जनमानस पर इस प्रकार प्रतिष्ठित हो कि लोग वर्षों बाद भी आपको याद करते हुए कहें एवं यह अनुभव करें की आप उनके इर्द-गिर्द ही हैं तो भला इससे ज्यादा उपलब्धि और गौरव का विषय क्या होगा यही तो अमरता का बोध है।
जीवन में जन्म के साथ ही मृत्यु का अटूट संबंध होता है इसीलिए दो दिन की जिंदगी कहा जाता है कि एक दिन जन्म फिर एक दिन मौत की निश्चितता इन दोनों के बीच के यात्रा और कर्मपथ का नाम ही तो जिंदगी है । इस जीवन पथ पर हम यदि नाम कमा जाएं कुछ पहचान बना जाएं इस धराधाम को कुछ दे जाएं तो यही हमारी जीवन और दो दिन की जिंदगी के सफलता का मापदंड होता है। शहीद नंदकुमार पटेल ने अपने जन्म से लेकर शहीद (शहादत की ओढ़नी में विश्राम करने )तक की यात्रा में कबीर की पंक्तियों में कहें तो – ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया … की तरह कहीं कोई दाग धब्बा का नामो निशान तक नहीं और उपलब्धियों की बात करें तो इसकी लंबी श्रृंखला बन जाएगी जिसे हम यदा-कदा उनके जीवन परिचय स्मृति आलेख व अन्य प्रकाशित अप्रकाशित प्रसंगों में सुनते देखते आए हैं। नहर पुल-पुलिया सड़क बिजली स्कूल भवन और जमीनी स्तर पर भौतिक निर्माण कार्यों को ही हम किसी जनप्रतिनिधि की उपलब्धि और कार्यों में शामिल करें तो यह व्यक्तित्व का अधूरा मूल्यांकन होगा शहीद नंद कुमार पटेल एक ऐसी शख्सियत का नाम है जो इन निर्माण कार्यों से विलग लोगों के दिलों में अपनी स्थान बनाने का,संबंधों में मधुरता लाने का,लोगों को संतुष्ट करने का,जन जन के मन मस्तिष्क में अपनी छबी अंकित करने का जो कार्य किया है सही अर्थों में यह एक जन नेता की वास्तविक उपलब्धि है ।
ग्राम पंचायत स्तर पर लोगों के साथ मिलकर संगठन के माध्यम से समस्याओं के निदान करने और एक दक्ष राजनैतिक व्यक्तित्व की पहचान बनने के बाद निर्विरोध सरपंच के रूप में अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले नंदकुमार पटेल एक ऐसे राजनीतिज्ञ बने जो आज के दौर में एक आदर्श की तरह है । ना केवल अपने पार्टी के लोग बल्कि विरोधी भी उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली के प्रशंसकों में शामिल होते थे और वे भी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को चुनाव तक सीमित रखकर अपने पूरे कार्यकाल में किसी भी कार्य को संपादित करने में दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सबके काम को निष्पक्ष भाव से संपादित करने में अपनी भूमिका निभाते थे ।शहीद नंदकुमार पटेल के निष्ठा और राजनीतिक दक्षता की परख करते हुए 1990 के विधानसभा चुनाव में उन्हें खरसिया विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया और किसान पुत्र नंदकुमार पटेल ने गांव,गरीब, किसान मितान का भरोसा जीत कर तब के धुरंधर राजनीतिज्ञ भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल जी को पीछे छोड़ते हुए एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया। इसके पश्चात फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और खरसिया विधानसभा क्षेत्र के अजेय योद्धा बनकर जीवन पर्यंत नंदकुमार पटेल जन जन के लाडले दुलारे नेता बन गए ।
∆ राजनीति को बनाया जन सेवा का माध्यम …
शहीद नंदकुमार पटेल का जन्म नंदेली गांव की माटी में महेंद्रसिंह पटेल गौटिया एवं इन्दुमती पटेल के द्वितीय पुत्र के रूप में 08 नवम्बर 1953 को हुआ था बचपन से ही सेवा और जन सरोकारों से स्वयं को संबंधित रखने वाले नंदकुमार पटेल ग्राम नंदेली में बोधन गौटिया के नाम से परिचित अपनी जीवन यात्रा को शुरुआत करते हैं फिर ग्राम पंचायत में पंच और सरपंच बन कर विकास कार्यों से ना केवल जिला बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाते हैं। वर्ष 1979 में वे युवा जनपद सदस्य के रूप में रायगढ़ जनपद पंचायत में निर्वाचित हुए। 1983 से 1990 तक अपने ग्राम पंचायत के निर्विरोध सरपंच बन कर विकास का मॉडल प्रस्तुत किया। 1980 से 1985 तक वे ब्लॉक स्तर के 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के सदस्य रहे। अपनी कुशल कार्यशैली और बड़े राजनीतिज्ञों से मधुर संबंध, प्रबंधन में दक्षता जैसे गुणों ने उन्हें शीघ्र ही एक प्रतिष्ठित जन नेता के रूप में मध्यप्रदेश में स्थापित कर दिया ।मध्यप्रदेश विधानसभा के नौवीं विधानसभा के लिए खरसिया क्षेत्र से प्रथम बार 5 मार्च 1990 को निर्वाचित होने के बाद 1983 में दूसरी बार,1998 में तीसरी बार और फिर मध्यप्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2003 में चौथी बार एवं 2008 में पांचवी बार बढ़ते मतों के अंतराल से खरसिया विधान सभा में उन्होंने जीत हासिल कर जमीन से जुड़े नेता के रूप में अपनी लोकप्रिय छवि को प्रतिष्ठित कर दिया। इस दौरान 25 दिसंबर 1995 से में दिग्विजय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के रूप में शामिल होकर 7 जनवरी 1996 को राज्यमंत्री जल संसाधन विभाग के रूप में शपथ लिये । मार्च 1998 से दिसंबर 1998तब राज्यमंत्री गृह विभाग फिर दिसंबर 1998 से अक्टूबर 2000 तक दिग्विजय सिंह मंत्री मंडल में गृह विमानन मंत्री के रूप में कार्य किया। मध्यप्रदेश में आप दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में राजनीतिक मामलों के समिति के सदस्य भी रहे।छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद नवंबर 2000 से दिसंबर 2003 तक अजीत जोगी मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ के प्रथम गृह मंत्री के रूप में अपने दायित्व संभाला मार्च 2006 से मार्च 2007 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य भी रहे ।विधानसभा में आजीवन सदस्य रहते हुए विभिन्न समितियों के सम्मानित सदस्य भी आप रहे ।
राजनीतिक संघर्ष में बढ़ता ही गया कद ….
आपकी कुशल प्रबंधन क्षमता एवं सांगठनिक दक्षता को देखते हुए अक्टूबर 2005 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली में प्रतिनिधि बनाया गया । फरवरी 2006 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने तत्पश्चात वर्ष 2011 में आपको छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया ।अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आलाकमान गांधी परिवार के करीबी और विश्वास पात्र लोगों में आपका नाम शामिल हो गया सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी आपकी बातों को गंभीरता से लेते आपके सुझाव को कार्य रूप में परिणित करते यही कारण है कि अध्यक्ष बनने के बाद आपको गांधी परिवार द्वारा विशेष वर्धा प्रदान किया गया आपको प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक विशेष चौपाया वाहन भी उपलब्ध कराया गया उनके विश्वास पर खरा उतरते हुए आपने अध्यक्ष बनने के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी तथा कार्यकर्ताओं में इस प्रकार प्राण फूंका कि आपके कुशल रणनीति, सबको विश्वास में लेकर काम करने विखरे हुए नेताओं को एक सूत्र में पिरोकर बांधने के साथ कार्यकताओं के आत्मविश्वास को जगाते हुए एकता और अनुशासन का पाठ पढाया प्रदेश में आज सत्तारूढ दल के रूप में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है वह आपके कर्मठता त्याग और बलिदान का ही प्रतिफल है इसे आम व खास सभी जन स्वीकार करते हैं ।
∆ वह राजनीतिक सफर का बन गया वह अंतिम सफर …
काल की गति और प्रकृति की क्रूर नियति को जन भावना के साथ चलना शायद स्वीकार नहीं था और शहीद नंदुमार पटेल के राजनीतिक सफर के अंतिम यात्रा के रूप में परिवर्तन यात्रा ने 25 मई 2013 के उस दिन को हमें पुण्य तिथि के रूप में अंकित करने को विवश कर दिया। परिवर्तन यात्रा के दौरान जब वे बस्तर क्षेत्र में एक सभा के पश्चात जगदलपुर के लिए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ आगे बढ़ रहे थे तभी दरभा के झीरम घाटी में नक्सलियों के कायराना हमला में अपने जेष्ठ पुत्र दिनेश पटेल के साथ वे शहादत को प्राप्त हो गए। क्रूर और दुर्भाग्यपूर्ण नक्सली हमले ने हमारे प्रिय लाडले छत्तीसगढ़ के गांव गरीब किसानों के आशा व विश्वास के केन्द्र जन जन के हितैषी शहीद नंदकुमार पटेल को उनके प्रिय पुत्र के साथ ही छत्तीसगढ़ प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं पुलिस के जवानों, सुरक्षा कर्मियों को मिलाकर 30 लोगों के जान ले लिए और अब हम अपने यादों में ही शहीद नंदकुमार पटेल और उनके जेष्ठ पुत्र भैया दिनेश को चिरस्मरणीय बनाकर रखने को विवश हो गए। उम्मीदों का वह चिराग असमय ही बुझ कर हमारे सामने अपने मधुर स्मृतियों का आगार छोड़ गया ।
∆ प्रदेश सरकार ने की विश्वविद्यालय की स्थापना …
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शहीद पटेल के यादों को चिरस्मरणीय बनाने की दिशा में पहल करते हुए रायगढ़ व जांजगीर चांपा के महाविद्यालयों को जोड़ कर रायगढ़ मे वर्ष 2020 में शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है यह विश्वविद्यालय अभी अपनी प्रगति की यात्रा में है। इस विश्वविद्यालय को अपने श्रम साधना से सिंच कर पुष्पित पल्लवित एवं एक विशाल वटवृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित करने की जिम्मेदारी हम सब की बनी हुई है । विशेषकर उनके सुपुत्र राजनीतिक विरासत के संवाहक एवं सुयोग्य पिता के सुयोग्य उत्तराधिकारी, युवाओं के बीच लोकप्रिय तथा पिता के पदचिन्हों पर चल रहे उमेश पटेल जब उच्च शिक्षा के साथ युवाओं के सभी विभागों के मंत्रालय को संभाले है तब इस विश्वविद्यालय की सुख्याति को प्रतिष्ठित करना उनकी जिम्मेदारी भी बन गई है । उम्मीद है यह विश्वविद्यालय शहीद नंदकुमार पटेल के अधूरे सपनों को साकार करने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के नाम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सफल होगी और यह एक पवित्र श्रद्धाजंलि के साथ सच्चा पुण्य स्मरण भी होगा शहीद नंदकुमार पटेल के पुनीत कर्मों को ….
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