नवरात्रि के सप्तमी कालरात्रि

रायगढ़@ शिव राजपूत
शायद इसमें भगवती की प्रेरणा हो की आज नवरात्रि के सप्तमी कालरात्रि के अवसर पर आपको एक फोटो भेजने की इच्छा हुई है,
देवी सती के 51वें शक्तिपीठ हिंगलाज देवी
जिसे कोई अघोरियों की आराध्या कहता है और कोई अघोरियों की इष्ट देवी मानता है बहरहाल देवी हिंगलाज की आकारहीन शक्तिपीठ को 2000 साल पुराना बताया गया है कहा जाता है कि अघोर गुरू गोरखनाथ सहित कई अघोरियों ने यहाँ साधना की थी…
वर्तमान में हिंगलाज देवी का स्थान पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रदेश में हिंगोल नदी के तट पर चंद्रकूप पहाड़ की गुफा में स्थित है हिंगलाज देवी के बारे में मान्यता यह भी है की यहाँ प्रतिरात्रि 51 शक्तियां रास करती हैं और सुबह होते ही हिंगलाज देवी में समा जाती हैं।
जब मैं सातवीं-आठवीं का विद्यार्थी था “अघोरेश्वर भगवान राम परिक्रमा”, “सफल योनी” एवं अघोरेश्वर भगवान राम द्वारा संकलित अन्य अघोर साहित्य जिसमें से कई उपलब्ध हैं और कई प्रतिबंधित हो गए हैं उन सबको बड़े ही बेमन से अपने पिता ठाकुर मंगलसिंह को पढ़कर सुनाना पड़ता था बड़े बाबा द्वारा एक ऐसी संकलित किताब थी जिसमें दुनियां भर के ब्रम्हवादियों का क्रमशः उल्लेख था….