मनरेगा के कार्यों में हो रहा जमकर फर्जीवाड़ा-अवध पटेल

मनरेगा के कार्यों में हो रहा जमकर फर्जीवाड़ा

मनरेगा अधिनियम एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला कानून है जो सरकार के सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक है. इस अधिनियम का लक्ष्य मजदूरी रोजगार को बढ़ाना है जिसके तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन द्वारा सही उपयोग और गरीबों के कारण सूखा, जंगल काटना एवं मिट्टी के कटाव को सही तरीके से विकास में लगाना है पर वर्तमान में ब्लॉक के कुछ पंचायतों में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मिलीभगत के चलते इस अधिनियम के तहत लापरवाही बरतते हुये शासन की राशि का दुरूपयोग किया जा रहा है.
मनरेगा की योजना में मची लूट खसोट

सोशल मीडिया में वायरल हो रहा शिकायत पत्र….
कि मनरेगा कार्य के तहत फर्जीवाड़े का काम किया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला क्षेत्र के ग्राम पंचायत मुरा में शिकायतकर्ता अवध राम पटेल, सभापति, स्वच्छता स्थाई समिति जिला पंचायत रायगढ़ (छ.ग.) का पत्र क्रमांक 28 दिनांक15.03.2021 के द्वारा प्रकाश में लाया है. ग्राम पंचायत मुरा में पंचायत प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर गैर जनता द्वारा मनरेगा के तहत चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य में लापरवाही बरतने व फर्जी हाजिरी भरे जाने की शिकायत जिला पंचायत सदस्य किए है.
गांव के कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा कार्य के प्रारंभ में गांव के लोगों ने काम किया जिसमें सभी अपने हिसाब से काम किये हैं, किसी ने माप पंजी के मुताबिक गड्ढा नहीं खोदा तो कोई बैठे-बैठे ही अपना रोजी पकाये हैं. काम करने के बाद पंचायत के गैर जनता ने अपनी मनमानी करते हुये कार्य स्थल का बिना जांच मूल्यांकन किये सभी का हाजिरी डालकर पूरी राशि का भगुतान कर दिया गया वहीं कई लोगों की फर्जी हाजिरी भी डाली गई जो कार्यस्थल में मौजूद भी नहीं थे.
०० अवध राम पटेल जिला पंचायत सदस्य ने यह भी अपने शिकायत पत्र में लिखे हैं कि ग्राम पंचायत मुरा के तालाब गहरीकरण के लिये रोजगार गारंटी के तहत जो कार्य स्वीकृत हुआ था जिसमें केवल 2.50 लाख का केवल काम हुआ है तथा फर्जी मस्टररोल तैयार कर रोजगार सहायक एवं तकनीकी सहायक आपस में मिलकर सांठगांठ कर सरपंच को भी विश्वास में लेकर गांव के दो गैर जनता के द्वारा मेट बनवाकर फर्जी मस्टररोल तैयार किया गया एवं 8-9 लाख रूपये की स्वीकृति राशि का आहरण कर लिया गया है। पिछले 20 वर्षों से कोई भी काम उसी तालाब गहरीकरण किया जाता है आज तक तालाब का रूप नहीं लिया है। पैसा कमाने के लिये एक मात्र तालाब जो अन्य कई मदों से 20 वर्षों तक प्रतिवर्ष उसी तालाब का गहरीकरण होता है। परंतु आज तक वहां सही ढंग से कार्य नहीं हुआ है। शासन को अंधेरे में रखकर शासन के पैसे का दुरुपयोग हुआ है, का लेख करते हुये शिकायत की गई है।
ज्ञात हो कि सरकार का पहला अंतरराष्ट्रीय कानून मनरेगा अधिनियम कार्य के तहत पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा शासन के पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है, केवल एक पंचायत ही नहीं बल्कि क्षेत्र के कई ग्राम पंचायतों में यही स्थिति देखने को मिल रही है इसके बाद भी उच्च अधिकारियों द्वारा मामले में कार्यवाही नहीं किया जाना शासन के खिलाफ जाने के बराबर है या यूं कहें कि ऐसे मामलों को नजर अंदाज कर दोषियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर युवा नेता ….


नाम न छापने के शर्त पर बताएं कि
गांव के कुछ लोगों द्वारा दुर्भावनावश गलत जानकारी दी जा रही है, मजदूरों को अपनी मजदूरी मिल चुका वर्षाऋतु निकलने पश्चात शिकायत करने वाले मंशा समझा जा सकता है। मनरेगा का काम क्षेत्र में सही चला है।

लेटर सोशल मीडिया में हो रहा वायरल ….
हमारी टीम आरोप नही लगा रहा दोनों पक्ष आरोप प्रत्यारोप लगाएं जा रहे और जाँच अधिकारी मीडिया को किसी प्रकार की जानकारी देने से कतरा रहे ऐसे में जाँच निष्पक्ष होने में ग्रामीणों को संदेह हो रहा हैं…
कानाफूसी क्षेत्र में हो रहा है कि जनपद और जिले के अधिकारी कर्मचारी नहीं सुन रहे हैं जनप्रतिनिधियों के तब तों शिकायत करना पड़ रहा है।
कानाफूसी केटेगिरी की बातों पर कितना यकीन करने न करने के लिए पाठको पर छोड़ देते है ….
बरहाल अधिकारी कर्मचारी को जनप्रतिनिधियों के शिकायत को हल्के में नहीं लेना चाहिए…




