
खरसिया। खरीफ सीजन में किसानों को वितरण के लिए खाद का परिवहन किया जा रहा है। एक बार फिर लोडिंग-अनलोडिंग का खेल दिखाकर फर्जी बिलिंग की जा रही है। खाद को पहले मार्कफेड के सेंटर में अनलोड दिखाया जाता है और फिर समिति में सप्लाई की जा रही है। असल में ऐसा होता ही नहीं है। रैक प्वाइंट से सीधे समिति में खाद उतर रहा है और बिल दो बार बन रहा है।


फाईल फोटो
खरसिया के एक ट्रांसपोर्टर ने तगड़ी सेटिंग की है। एक ही ट्रांसपोर्टर को दोनों के परिवहन का काम मिला है। मतलब रैक प्वाइंट से भी खाद वही लाएगा और समितियों में भी वही पहुंचाएगा। इसके लिए प्लानिंग के साथ सांठगांठ की गई है। मार्कफेड के गोदाम में खाद की अनलोडिंग तो दिखाई जाती है लेकिन होती नहीं है। गाड़ी को रैक प्वाइंट से सीधे समिति में भेजा जाता है। यहां भी गड़बड़ी होती है। सभी डबल लॉक सेंटरों में खाद नहीं पहुंचाया जाता। नजदीक के सेंटरों में खाद अनलोड कर दिया जाता है। जब बिल बनाने की बात आती है तो पहले मार्कफेड के सेंटर में अनलोडिंग और फिर दोबारा लोडिंग व परिवहन का लाखों का बिल बन रहा है।
बरमकेला और सारंगढ़ नहीं भेज रहे खाद
खरसिया के ट्रांसपोर्टर ने उर्वरक कंपनियों से सांठगांठ की है। इसलिए ट्रांसपोर्टिंग में जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। परिवहन बिल मनमाने तरीके से बनाए जा रहे हैं। हैरत की बात यह है कि जो गाड़ी रैक प्वाइंट से निकलती है, उससे अनलोडिंग के बाद उसी गाड़ी में समिति में भी परिवहन होता है। एक ही दिन में एक ही गाड़ी से संदिग्ध तरीके से खाद परिवहन हो रहा है। बरमकेला और सारंगढ़ की समितियों में खाद परिवहन करने में भारी गड़बड़ी की जाती है। यहां पहुंचने वाला यूरिया थोक डीलर के गोदाम में अनलोड होता है। इस साल उर्वरक की ज्यादा किल्लत होने की आशंका है इसलिए खाद माफिया ने सिंडीकेट बना लिया है।
खरीफ सीजन पीक पर पहुंचता है तो फिर हायतौबा मचाता है।




