इतवारी बाजार में करीब साढ़े चार एकड़ जमीन पर ऑक्सीजोन बनाने टेंडर जारी
किसान हित के अलावा,अन्य उपयोग मे लिया गया तो किसान बर्दाश्त नहीं -बी आर पटेल
रायगढ़। रायगढ़ शहर के बीचोंबीच कृषि उपज मंडी बोर्ड की जमीन पर ऑक्सीजोन का निर्माण होना है। इसका टेंडर जारी हो गया है। करीब दस करोड़ की लागत से होने वाले निर्माण का टेंडर जारी हो गया है। इसकी योजना नगर निगम ने बनाई थी लेकिन काम हाउसिंग बोर्ड को दिया गया है। मामला बेहद दिलचस्प हो गया है। शहर में सरकारी जमीनों पर या तो अतिक्रमण हो चुका है या हो रहा है। इसे बचाने के लिए कोई जतन नहीं किया गया है। अब इतवारी बाजार में मंडी बोर्ड की जमीन को बचाने के लिए ऑक्सीजोन में तब्दील किया जा रहा है।
प्रावधानों के मुताबिक किसी भी जिले में पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि को उसी जिले में पर्यावरण संरक्षण में उपयोग किया जाना है। पर्यावरण विभाग ने रायगढ़ शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए दस करोड़ का प्रोजेक्ट पास किया है। इतवारी बाजार में 4.30 एकड़ जमीन पर ऑक्सीजोन बनेगा। निगम ने प्लानिंग की और काम हाउसिंग बोर्ड को सौैंप दिया है। मतलब जमीन मंडी की, पैसा पर्यावरण विभाग, प्लानिंग निगम की और निर्माण हाउसिंग बोर्ड करेगा।
उद्योगो अधिरोपित पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति को ऑक्सीजोन में खर्च किया जाएगा। नगर निगम ने इसके लिए 9.87 करोड़ का प्रस्ताव दिया था। पर्यावरण विभाग ने 4.50 करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं। बाकी 5.37 करोड़ रुपए डिमांड के आधार पर जारी किए जाएंगे। यहां गार्डन के अलावा वृक्षारोपण भी होगा। फन जोन, बैठने की सुविधा, वाकिंग पाथवे, फूड जोन, जॉगिंग ट्रैक के अलावा दुकानें भी बनाने का प्रस्ताव है। इससे होने वाली आय से ऑक्सीजोन का मेंटेनेंस किया जाएगा। इस क्षेत्र को सघन हरियाली क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका टेंडर जारी कर दिया गया है।
बाजार भी नहीं लगेगा,वैकल्पिक पार्किंग भी बंद
ऑक्सीजोन बनने के पहले जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराना होगा। अभी भी कई लोगों ने कब्जा कर रखा है। निर्माण के बाद यहां रविवार को बाजार नहीं लग सकेगा। इसके अलावा जन्माष्टमी मेला और कोई अन्य बड़ा कार्यक्रम होने पर वैकल्पिक पार्किंग स्थल भी नहीं बनाया जा सकेगा। अभी इतवारी बाजार को कचरा डंपिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
किसान हित के अलावा,अन्य उपयोग मे लिया गया तो किसान बर्दाश्त नहीं -बी आर पटेल
इसके पीछे सच्चाई बहुत कुछ है :-
यह भूमि पाक साफ मंडी समिति की है। जिसको 1972 मे महामहिम राजयपाल महोदय के हस्ताक्षर से राजपत्र मे प्रकाशित कर, मंडी समिति रायगढ़ को दी गईं थी। खाली देखकर नगरनिगम ने कब्जा कर मनमानी दुरूपयोग शुरू कर दिया था। लगातार कई अदालतों से डिग्री मिलने के बाद, यह जमीन क़ृषि उपज मंडी समिति रायगढ़ को वापस मिली थी । आज की तारीख तक, जमीन मंडी समिति क़ी है। बीच बीच मे मंडी समिति द्वारा बाउंड्री रिपेरिंग कर अवैध कब्जा हटवाया जाता रहा है।
किसानो क़ी मांग है कि एक हिस्से मे एक बड़ा (जिला स्तरीय) किसान भवन बनाया जावे । पिछली सरकार द्वारा किसानो के हक मे एक उपभोक्ता बाजार बनाने पर विचार किया गया था, जहाँ कोचिंये और दलालों का प्रवेश वर्जित हो। किसानो मे जन जगरूकता लाने व अन्य क़ृषि लाभ लेने के उद्देश्य से, रायगढ़ शहर के अंदर एक मात्र यह भूमि किसानो के पास मे पिछले 50 वर्षों से है। छत्तीसगढ़ के किसी भी बड़े शहर के अंदर किसानो / ग्रामीणों की कोई प्लेट फार्म नहीँ है ।
पिछले वर्षों मे इसी भूमि पर डेली सब्जी बाजार को शिफ्ट करने की कोशिश की गईं थी। किसानो ने कड़ी आपत्ति की थी। शहर की सारी आवश्यकता को पूरी करने वाले ग्रामीणों अथवा किसानो के लिए रेलवे प्लेट फार्म के आलावा अन्य कोई शराणास्थली नहीँ है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने 80 साल पहले अपनी चिंता व्यक्त कर दिया था कि गांव केवल शहर के उपयोग के लिए ही न मान लिया जाय । जिले की बड़ी आबादी गांव मे बस्ती है जो अपनी बहुमत से सरकार बनाती है। परन्तु हमेशा शोषण का शिकार होती है। एक मात्र फ़सल धान बेचने मे भी, किसान अधिकारीयों से जूझता रहता है । कोई एक दिन तौल कांटे के पास खड़े होकर फोटो छपवा लेते है , बाकी दिन किसान, असंगठित होने के कारण, अकेला होता है ।
अंतत : यह स्पष्ट है कि, इतवारी बाजार की 5 एकड़ जमीन को,किसान हित के अलावा, अन्य उपयोग मे लिया गया तो किसान बर्दाश्त नहीँ करेंगे। रायगढ़ मे भी कोई शंभू बार्डर बन जाय तो कोई आश्चर्य नहीँ होगा।
सर्व किसान संगठन रायगढ़ जिला (छग)
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं.लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति thedehati.com उत्तरदायी नहीं है।)