यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में नवीन जिन्दल की अध्यक्षता वाले फ्लैग फाउंडेशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने फैसले में देश के नागरिकों को साल के 365 दिन ससम्मान तिरंगा फहराने का जो अधिकार प्रदान किया था, उसकी आत्मा में हर घर तिरंगा पहुंचाने की बात थी। नवीन जिन्दल का सदैव सपना रहा है कि हर घर पर तिरंगा लहराए। फ्लैग फाउंडेशन उन सपनों को साकार करने के लिए सदैव समर्पित रहा है और अब तक देश में 90 से अधिक विशालकाय ध्वज फहरा चुका है। उसे देखते हुए कई अन्य देशभक्तों ने भी विशालकाय ध्वज लगाए, जिसकी संख्या कुल मिलाकर अब 450 से अधिक हो गई है जो दुनिया के किसी भी देश में लगाए गए विशालकाय झंडों की संख्या से अधिक है।
तिरंगा धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर लोगों को भारतीय कहलाने का गर्व प्रदान करता है इसलिए समय-समय पर सरकारों ने फ्लैगकोड में संशोधन कर तिरंगे को जनसुलभ बनाने का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कमर से ऊपर तिरंगा धारण करने और विशालकाय ध्वज लगाने का संशोधन पिछली सरकारों ने किया। बाद में यह भी स्पष्ट किया गया कि रात में भी रोशनी के साथ विशाल स्मारकीय झंडे लगाए जा सकते हैं।
संशोधनों की इस यात्रा का यह ताजा पड़ाव है, जिसमें दिन-रात तिरंगा फहराने की अनुमति आम भारतीयों को मिल गई है। फ्लैग फाउंडेशन ने स्थापना के बाद से ही प्रयास किया है कि झंडा फहराने में समय और सामग्री को लेकर जो आशंकाएं हैं, वे दूर हों। इस बारे में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर निरंतर अवगत कराया गया। पिछले दिनों कपड़े को लेकर और अब समय को लेकर जो फैसले सरकार ने किये हैं, वे सराहनीय हैं। अब देश की जनता और उत्साह से तिरंगा फहराएगी और देशभक्ति की भावना का प्रदर्शन करेगी।
गौरतलब है कि आजादी के बाद तिरंगा राष्ट्र की आन-बान-शान का प्रतीक तो बना लेकिन आम भारतीय इसे स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर ही अपने घर या कार्यालय में फहरा सकते थे। आम देशवासियों को साल के 365 दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराने का यह अधिकार दिलाया नवीन जिन्दल ने। उन्होंने लगभग एक दशक तक कानूनी लड़ाई लड़ी। 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वी.एन. खरे, न्यायमूर्ति बृजेश कुमार और न्यायमूर्ति एस.बी. सिन्हा ने फैसला सुनाया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक भारतीय नागरिक को स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय ध्वज पूरे मान-सम्मान के साथ फहराने का अधिकार है और यह एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इस फैसले ने एक नागरिक की राष्ट्र के प्रति निष्ठा और गर्व की भावना की अभिव्यक्ति को परिभाषित किया। इसके साथ ही प्रत्येक भारतीय को अपने घर, प्रतिष्ठान और सार्वजनिक स्थलों पर सम्मानपूर्वक तिरंगा दर्शाने व फहराने का मौलिक अधिकार प्राप्त हो गया। नवीन जिन्दल जब अमेरिका में पढ़ते थे तो वो 365 दिन भारतीय झंडा लगाते थे। लेकिन भारत आने उन्हें प्रतिदिन झंडा फहराने से मना किया गया। इस अधिकार को पाने के लिए उन्होंने 10 साल जंग लड़ी और अंत में 23 जनवरी 2004 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के द्वारा जनता को यह अधिकार मिला।
तिरंगा आज देशवासियों के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। राजनीतिक, सांस्कृतिक और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तिरंगा ही अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है।