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हवन-यज्ञ बात नहीं बनी तो फिर अमर अग्रवाल रायगढ़ के चुनाव समर में उतरेंगे…

रायगढ़। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की संभावनाएं अभी भी बरकरार है। अमर अग्रवाल के यहां से चुनाव लडऩे के सवाल पर फिलहाल न तो अल्प विराम लगा है, ना ही पूर्ण विराम। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कल अपने रायगढ़ प्रवास के दौरान जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में अमर अग्रवाल ने इस बात के स्पष्ट संकेत दिए है कि सियासत में कभी भी कुछ भी नामुमकिन नहीं है। अमर अग्रवाल के इस इशारे से अलबत्ता उन तमाम दावेदारों की नींद जरूर हराम हो गयी होगी जो अपने सपनों को पंख लगाकर विधायक बनने के ख्वाहिशमंद हैं।

छत्तीसगढ़ भाजपा के चुनिंदा ताकतवर नेताओं में शुमार अमर अग्रवाल की यूं तो अपनी परंपरागत बिलासपुर विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की प्रबल इच्छा है मगर ऐन चुनाव के मौके पर संगठन के किसी फार्मूले के तहत उनकी यदि बिलासपुर में बात नहीं बन पाती है तो अमर अग्रवाल विकल्प के तौर पर रायगढ़ सीट पर निगाहें जमाए हुए हैं। यह कोई कोरी कल्पना नहीं है बल्कि इसके पाश्र्व में अनेक प्रबल तर्क विद्यमान हैं। आपको याद होगा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले केन्द्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के सभी 10 मौजूदा सांसदों की टिकट काट दी थी। कुछ इसी तर्ज पर वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के पूर्व संगठन कोई अप्रत्याशित कदम उठा सकती है। भाजपा के अधिकांश सूरमा इस बात से भली-भांति इत्तेफाक रखते हैं। यही वजह है कि कई दिग्गज अभी से सेफ जोन की तलाश में हैं फिर इस सूची में अमर अग्रवाल कैसे पीछे रह सकते हैं। अमर अग्रवाल का रायगढ़ से दशकों पुराना नाता है। रायगढ़, उनका गृह जिला है। वे दिवगंत लखीराम अग्रवाल के सुपुत्र हैं।

अमर लंबे समय तक रायगढ़ जिले के प्रभारी मंत्री रह चुके हैं। यही नहीं, बल्कि 15 वर्ष के भाजपा शासनकाल के दौरान रायगढ़ जिले की राजनीति में उनकी सशक्त दखलंदाजी रही है। ये तमाम ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं जो अमर अग्रवाल के रायगढ़ से चुनाव लडऩे की संभावनाओं को पुख्ता करते हैं। वहीं,अमर अग्रवाल के यहां से चुनाव लडऩे की सूरत में भाजपा के गुटीय संघर्ष पर भी विराम लग सकता है। कल पत्रकार वार्ता के दौरान अमर अग्रवाल से रायगढ़ सीट से चुनाव लडऩे के संबंध में जब प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि रायगढ़ से उनका पुराना रिश्ता रहा है और पार्टी ने यहां मुझे सेवा करने का अवसर दिया तो संगठन का हर निर्णय शिरोधार्य होगा। कहने का मतलब यह है कि अमर अग्रवाल ने रायगढ़ से अपनी उम्मीदवारी के तारतम्य में मना नहीं किया है, गुंजाईश बनी हुई है। अगर किसी कारणवश अमर अग्रवाल बिलासपुर में असहज महसूस करते हैं तो वे निश्चित रूप से रायगढ़ सीट की ओर रूख कर सकते हैं, इस बात में कोई दो राय नहीं है।

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