रायगढ़ । सड़क हादसे में दो भाईयों को खोने के बाद वेटलिफ्टिंग खिलाड़ी संयुक्ता खुद की ईलाज के लिए रायगढ़ जैसे दानवीरों की नगरी में दर-दर की ठोकर खा रही थी। और आज संयुक्ता बेहतर इलाज की लालसा को लेकर कलेक्टर जनदर्शन में पहुंच गई। जहां कलेक्टर को इसकी भनक लगते ही वे खुद अपने चेंबर से निकलकर संयुक्ता के समक्ष पहुंचे और बेहतर इलाज के लिए तत्काल 50 हजार रूपए की राशि देकर संयुक्ता को हैदराबाद भेजने की तैयारी करने को कहा।
तो आइए चलते है कुछ महीने पहले जब शहर की बेटी संयुक्ता एक वेट लिफ्टर थी।वेट लिफ्टिंग में अपना लोहा मनवाने वाली महिला खिलाड़ी के साथ 26 जनवरी को एक सड़क हादसा हुआ। हादसे के समय संयुक्ता अपने 2 भाइयों के साथ थी।हादसे के शिकार दोनों भाई की मौत हो गई और संयुक्ता का इलाज रायपुर के अस्पताल में जारी रहा। लाखो रुपए खर्च करने के बाद भी उसकी तबियत में कोई सुधार नही हुआ और डॉक्टरों ने उन्हें न्यूरो स्पेसिलिस्ट के पास हैदराबाद ले जाने की सलाह दी।परिवार की कमर संयुक्ता और उसके भाई के इलाज में टूट चुकी थी,लरैवेट अस्पताल में इलाज करवाने में घर तक बिक गया। अब न तो पैसा बचा और न ही संयुक्ता के ठीक होकर अपने पैरों पर खड़े होने की उम्मीद। संयुक्ता की बहन उसको फिर से उसी खिलाड़ी के रूप में देखने की इच्छा रखती है और उसके इलाज के लिए मारी मारी फिर रही थी।जिले में जिस तरह रायगढ काम कर रहे है संयुक्ता की बहन ममता को लगा कि क्यों न कलेक्टर से मिला जाए और उनसे ही कोई आर्थिक मदद मांगी जाए।
इधर कलेक्टर भीम सिंह जनदर्शन में लोगो की समस्या सुन रहे थे और उनकी नज़र चेम्बर में लगी स्क्रीन पर पड़ी उन्होंने सीसीटीवी में देखा कि कलेक्ट्रेट परिसर में ऑटो से किसी को गोद मे उठाकर लाया जा रहा है वो तत्काल अपने चेम्बर से बाहर आए और संयुक्ता के बारे में जानकारी ली।
सारी बात जानने के बाद आईएएस भीम सिंह ने 50 हज़ार रुपए की राशि देकर संयुक्ता को हैदराबाद भेजने की तैयारी करने को कहा।उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट डॉक्टर से चेकअप करवाकर संयुक्ता के इलाज की पूरी व्यवस्था की जाएगी।संयुक्ता की बहन ममता ने जिला कलेक्टर को भीगी आंखों से देखा और कहा सर आप हमारे लिए देवदूत है।हम किसी भी कमी पर सिस्टम को कोसते है लेकिन कभी कभी कुछ ऐसे भी मामले सामने आते है जिनको देखने के बाद ऐसा लगता है कि सिस्टम अच्छा या खराब कभी नही होता बल्कि आदमी के अंदर की इंसानियत हमे सिस्टम को अच्छा या खराब साबित करती है।जब एक जिले का कलेक्टर अपने चैंबर से बाहर आ कर किसी की मदद करे तो फिर ऐसे आईएएस और ऐसे सिस्टम को एक सेल्यूट तो बनता है।