रायगढ़ । सनातन धर्म भक्ति का वो महासागर है जहां ईश्वर प्राप्ति के लिए जप,तप एवं व्रत का पुण्य विधान है।ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को वट सावित्री पूजा का विधान है इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र की कामना लिए यह व्रत करती है।सुबह से निर्जला व्रत करके मध्याह्न वट वृक्ष की पूजन के बाद ही जल ग्रहण करने का नियम है,जल ,मौली,रोली,कच्चा सुत, भिगोया हुआ चना ,फूल तथा धूप पूजन सामग्री के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।जल से वट वृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेट कर परिक्रमा करने को शुभ माना जाता है।
इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है दाम्पत्य जीवन सुखमय रहे एवं सुहागिन महिलाओं के पति की उम्र लंबी रहे इस कारण आज के दिन वट वृक्ष की।पूजन का विधान है।हर वर्ष विजयपुर में इस पूजा को लेकर महिलाएँ उत्साहित रहती है सभी मिलकर तालाब किनारे स्थित वट वृक्ष की पूजा करती है एवं अपने लिए अखंड सौभाग्य की कामना करती है।यहां सैंकड़ों सुहागिन महिलाएँ आज के दिन व्रत करती है।व्रत करने वाली महिलाओं में मोहरमती मालाकार,नीलिमा शर्मा,सुमीता यादव,सुकांति साहू,लता पांडे,संतोषी साहू,रेखा गोस्वामी,प्रियंका रथ,सिया मिश्रा,संध्या उपाध्याय, गायत्री मालाकार,सरोजनी मालाकार, बसन्ता मालाकार, फूलकुमारी मालाकार, पुष्पा मालाकार नंदरानी साहू,यशोदा साहू, जानकी साहू,लता साहू,संध्या पांडे,अनिता चौहान,सुधा ठाकुर एवं अन्य सैकड़ो महिलाओं ने पूजन किया।