
500आदिवासी बालक बालिका के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है…
खरसिया के इस शासकीय आदिवासी बालक आश्रम चोढ़ा में आज भी जीवित है ‘अतिथि देवो भव’ की भावना, जानिए पीछे की कहानी

खरसिया ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में अतिथियों का स्वागत भगवान की तरह किया जाता है. अतिथि सत्कार का जिक्र वेदों में भी किया गया है. अतिथि देवो भव: अतिथि भी देवता स्वरूप होता है. आज के इस भागमभाग जीवन में भले ही कुछ क्षेत्रों में अतिथि सत्कार की परंपरा कम होती जा रही है.

लेकिन रायगढ़ जिला के खरसिया विकास खण्ड शासकीय आदिवासी बालक आश्रम चोढ़ा में आज भी अपनी अनोखी मेहमान नवाजी और अतिथि सत्कार का जीता जागता उदाहरण है.

इस आश्रम के अतिथि सत्कार की विशेष बात यह है कि अपने जगह को अन्य विकास खण्ड के आश्रम संचालित करने दे दिया।250चोढ़ा आश्रम और 250 अंजोरीपाली के आदिवासी बालक बालिका को विभाग के जिम्मेदार के लापरवाही के वजह से कोरोना काल के पूर्व से वंचित होते चले आ रहे हैं विभाग के जिम्मेदार को सुध लेने की फुर्सत भी नहीं …

विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बी के राजपूत से बात करने का प्रयास किया बात नहीं होने से उनका पक्ष नहीं रख पाए…



