उर्वरक माफिया और निर्माता कंपनियों के गिरोह पर काबू पाने पर विचार कर रही सरकार,किसान खाद लेता नहीं और सब्सिडी मिलती है कंपनी को…
हर साल करोड़ों रुपए की सब्सिडी देने के बावजूद किसानों को खाद के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यूरिया और डीएपी की किल्लत के कारण किसान को सब्सिडी वाली खाद भी दो-तीन गुने दाम पर खरीदनी पड़ती है। जो खाद समिति के जरिए सीधे किसानों को मिलनी चाहिए, वह प्राइवेट व्यापारी के जरिए मिलती है। यह एक गिरोह है जो बड़ी सफाई से काम कर रहा है। उदाहरण के लिए समिति को पहुंचने वाला यूरिया निजी व्यापारी के पास पहुंचता है। समिति में किसानों के नाम पर उस यूरिया की फर्जी लोन की एंट्री कर दी जाती है। वही यूरिया निजी व्यापारी के पासे 266 रुपए के बजाय 600 रुपए में खरीदना पड़ता है। यूरिया पर मिलने वाली सब्सिडी कंपनी को मिल जाती है क्योंकि निजी व्यापारी किसान के आधार नंबर से पॉस मशीन में इसकी एंट्री कर देता है।
किसान सम्मान निधि के साथ मिलेगी राशि…
सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ महीनों में लघु और सीमांत किसानों को उनके रकबे के आधार पर सब्सिडी देने का निर्णय होगा। सब्सिडी की राशि किसान के खाते में दी जाएगी। किसान सम्मान के 6000 रुपए के अलावा सब्सिडी के 5000 रुपए भी दिए जा सकते हैं। यह राशि रबी और खरीफ के दो किश्तों में मिलेगी। रकम मिलने के बाद किसान को खाद पूरी कीमत देकर खरीदना होगा, मतलब जो सब्सिडी उर्वरक कंपनियों को दी जाती थी, वह किसानों को मिलेगी। पहले छोटे किसानों से इसकी शुरुआत होगी। इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन होगा। सरकार अभी योजना तैयार कर रही है।