सरकार ने 2019 में रेत खदानों के संचालन की प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया। ग्राम पंचायतों द्वारा संचालित रेतघाटों को नीलामी के जरिए निजी हाथों में देने का निर्णय लिया गया था। उसके बाद से रायगढ़ जिले में करीब 20 रेत घाटों की नीलामी हो चुकी है। दो साल के लिए रेत खदानें लीज पर दी गई थीं। अवधि समाप्त होने के बाद पुन: एक साल का एक्स्टेंशन दिया गया था। अब सरकार ने फिर से पुरानी व्सवस्था की ओर लौटने का निर्णय लिया है। अब आदेश दिया गया है कि पांचवीं अनुसूची के तहत अधिसूचित ब्लॉकों में रेतघाट ग्राम पंचायतों को आवंटित किए जाएंगे। इन ब्लॉकों में अगर किसी रेतघाट की नीलामी हुई थी तो लीज अवधि समाप्त होने के बाद इसका संचालन ग्रापं करेगी। रायगढ़ जिले में करीब 40 रेत खदानों का संचालन 2018 तक हो रहा था। एनजीटी की गाइडलाइन और नीलामी प्रक्रिया के कारण अब 13 रेतघाट संचालित हैं। इस वजह से रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन बढ़ गया है। अब फिर से रेत खदानें ग्रापं को मिलेंगी। धरमजयगढ़, लैलूंगा, घरघोड़ा, तमनार और खरसिया में चिह्नित रेत खदानों को ग्राम पंचायतों को दिया जाएगा।
दो साल की लीज के बाद मिला एक्सटेंशन
अभी संचालित रेत खदानों में से पुसल्दा धरमजयगढ़, बुडिय़ा, टिहलीरामपुर और महलोई तमनार तहसील के हैं। ये अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं। इनके अलावा बेलरिया, धनुहारडेरा, जसरा, पिहरा, औराभाठा, सरडामाल और तारापुर अन्य ब्लॉकों के हैं। इन सभी रेत घाटों की लीज एक साल के लिए बढ़ाई गई थी। अनुसूूचित क्षेत्र की रेत खदानों की लीज अवधि एक साल के अंदर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद इन्हें ग्राम पंचायतों को आवंटित किया जाएगा।