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फरवरी नहीं 1 अप्रैल से लागू होगा रेडी टू ईट का नया सिस्टम, अदालत में मामला लंबित होने के कारण राज्य सरकार ने लिया निर्णय, पुराने ढर्रे पर ही चलेगा काम      

रायगढ़। भ्रष्टाचार नियंत्रण से बाहर होने के कारण सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग में रेडी टू ईट की पुरानी व्यवस्था बदलने का निर्णय लिया था। अब निर्माण का काम महिला समूहों के बजाय बीज निगम की फैक्ट्रियों में किया जाना था, लेकिन अदालत में मामला लंबित होने के कारण 1 फरवरी के बजाय 1 अप्रैल से इसे लागू किया जाएगा, तब तक पुरानी व्यवस्था से ही काम चलेगा।

राज्य सरकार ने रेडी टू ईट के निर्माण और वितरण की 12 साल पुरानी व्यवस्था को बदल दिया था। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं को पोषण आहार देने का काम महिला स्व सहायता समूहों को दिया गया था। 12 साल से यही सिस्टम चल रहा था। कुपोषण दूर करने के लिए महिला समूह ही रेडी टू ईट फूड पैकेट का निर्माण करते हैं और वितरण भी करते हैैं। सालों पुरानी व्यवस्था में सेंध लग चुकी थी। हर कदम पर सांठगांठ होने के कारण इसकी मॉनिटरिंग कमजोर पड़ गई थी। सरकार ने इसकी समीक्षा की तो पता चला कि जितना फंड व्यय किया जा रहा है, उतना रिजल्ट नहीं मिल रहा है। करोड़ों रुपए इस योजना में सरकार आवंटित कर रही है। इसलिए 26 नवंबर 2021 को सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग ने आदेश जारी किया था जिसके तहत पूरक पोषण आहार के रेडी टू ईट फूड निर्माण एवं वितरण का कार्य स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के स्थान पर अब छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित यूनिट के माध्यम से होगा।

यह आदेश एक फरवरी 2022 से प्रभावशील होना था, लेकिन महिला समूहों ने इसके विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की है। मंगलवार को सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक और आदेश जारी किया है जिसके तहत नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी, तब तक पुरानी व्यवस्था से ही काम होगा। 9करोड़ रुपए मिलते हैं समूहों को महिलाओं को पोषण आहार देने में सरकार हर साल केवल रायगढ़ जिले में नौ करोड़ रुपए का भुगतान करती है। रेडी टू ईट फूड पैकेट महिलाओं को मिलते हैं या नहीं, इसकी कोई ठोस मॉनिटरिंग नहीं होती। इतने सालों से दिए जा रहे फूड पैकेट के बावजूद पोषण की स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं आया। जिले में करीब 1.31 लाख लाभार्थी हैं। इस बार भी दोबारा एग्रीमेंट करने के लिए कई तिकड़म लगाई गई है।

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