कई साल बाद महाराष्ट्र में बनी अनिवार्य बिजली कटौती की स्थिति…
मुंबई । दिन-ब-दिन बढ़ रही गर्मी के बीच देशभर में बिजली संकट और गहराने के कगार पर है। यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब समेत दस राज्यों में कोयले की भारी किल्लत हो गई है। इस बीच, बिजली की बढ़़ती मांग और कोयले की कमी के कारण कटौती बढ़ गई है। महाराष्ट्र में कई साल बाद अनिवार्य बिजली कटौती की स्थिति बन गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी शुरू होने के साथ ही देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। कोरोना लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौट रही औद्योगिक गतिविधियों के चलते फैक्टरियों और उद्योगों में बिजली की खपत बढ़ी है। वहीं, जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, बिजली की मांग तेजी से चढ़ेगी। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर एवं मध्य भारत के अधिकतर इलाके में अप्रैल में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने वाला है। ऐसे में बिजली की मांग बढ़ना तय है। देश के कई हिस्सों में तो बिजली की कटौती शुरू हो चुकी है।
बिजली मांग के मुकाबले तीन फीसदी कम
देश के प्रमुख औद्योगिक गढ़ महाराष्ट्र में कई वर्षों बाद इतना बड़ा बिजली संकट खड़ा हुआ है। यहां मांग के मुकाबले 2500 मेगावाट बिजली कम है। प्रदेश में रिकॉर्ड 28000 मेगावाट की मांग है, जो पिछले साल के मुकाबले 4000 मेगावाट अधिक है। सरकारी आंकड़ाें के मुताबिक, झारखंड, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड में मांग के मुकाबले तीन-तीन फीसदी कम बिजली उपलब्ध है।
इन राज्यों में कोयले की किल्लत
उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में 1.4% मांग बढ़ने से बिजली संकट गहराया है। यह आंकड़ा अक्तूबर में हुए बिजली संकट के समय की मांग से भी अधिक है। अक्तूबर में गंभीर कोयला संंकट के दौरान बिजली की मांग एक फीसदी बढ़ी थी। हालांकि मार्च में बिजली की मांग में 0.5 फीसदी की कमी आई थी।
यूपी में मांग से कम बिजली आपूर्ति
यूपी में 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली की मांग है। जबकि सिर्फ 19 से 20 हजार मेगावाट बिजली ही मुहैया हो पा रही है। राज्य की इकाइयां 4587 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं। 7703 मेगावाट आपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा हो रही है।
अनपरा, ओबरा परियोजनाओं में चार-पांच दिन का कोयला बचा
उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम की सबसे बड़ी 2630 मेगावाट क्षमता की अनपरा परियोजना को बुधवार को भी रेल रैक से कोयले की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी। यहां प्रतिदिन 40 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है।
सीजीएम इं. आरसी श्रीवास्तव ने कहा, एमजीआर से प्रतिदिन तीस हजार मीट्रिक टन कोयला मिल रहा है। रेल रैक से आपूर्ति शुरू कराने के लिए प्रयास जारी है।
ओबरा परियोजना में सिर्फ 4-5 दिन का ही कोयला बचा है, जबकि 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए। ओबरा परियोजनाओं की भी 200-200 मेगावाट की कुल पांच इकाइयों में से चार को फुल लोड पर चलाया जा रहा है। सीजीएम दीपक कुमार ने कहा, रोजाना कोयले की चार रैक की जरूरत है, लेकिन अभी एक रैक ही मिल पा रही है। इससे आगे दिक्कत होने की आशंका है।
खदानों के पास संयंत्रों को लिंकेज कोल पर 25% टोलिंग सुविधा
केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने बुधवार को कहा, कोयला संकट से निपटने और बिजली उत्पादन जारी रखने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को खदानों के पास वाले संयंत्रों के लिए लिंकेज कोल पर 25 फीसदी टोलिंग सुविधा देगी। आयातित कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की समीक्षा बैठक के बाद सिंह ने कहा, इससे दूर-दराज के राज्यों में कोयले के परिवहन के बजाय बिजली पहुंचाना आसान होगा।