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आजादी का सही अर्थ : पं.कान्हा शास्त्री

आजादी का सही अर्थ : पं.कान्हा शास्त्री

आजादी कहने को सिर्फ एक शब्द है लेकिन इसकी भव्यता को कोई भी शब्दों में नही बांध सकता.

आजादी का अर्थ है – विकास के पथ पर आगे बढकर देश और समाज को ऐसी दिशा देना, जिससे हमारे देश की संस्कृति की सोंधी खुशबू चारों और फ़ैल सके.

आजादी का मूल्य देश ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, सुभाषचंद्र बोस आदि के प्राण खोकर चुकाया है. देश की आजादी की कहानी में शायद ही कोई ऐसा पन्ना हो जो आंसुओं से होकर ना गुजरा हो. झाँसी की रानी से गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन तक की मेहनत के बाद आजादी प्राप्त हुई. सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महायज्ञ का प्रारम्भ झासी की रानी और मंगल पांडे ने किया और अपने प्राणों को भारत माता पर न्योछावर किया. देखते ही देखते यह चिंगारी एक महासंग्राम में बदल गयी, जिसमें पूरा देश कूद पड़ा. इस आजादी के लिए तिलक ने ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का सिंहनाद किया.

चंद्रशेखर आजाद ने अपना धर्म ही आजादी को बताया, भगतसिंह ने देशभक्ति की जो लो पैदा की वह अद्भुत है. ईट का जवाब पत्थर से देने की क्रांतिकारियों की ख्वाहिश का सम्मान यह देश हमेशा करेगा. देश को गर्व है कि उसके इतिहास में भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु और असंख्य ऐसे युवा हुए जिन्होंने अपने प्राण भी भारतमाता के लिए हंसते-हंसते न्योछावर किए.

देश के इतिहास में अगर किसी को असली सुपरहीरो माना जाता है, तो वह हैं हमारे नेताजीसुभाष चंद्र बोस. एक आम भारतीय ही थे. उच्च शिक्षा प्राप्त और अच्छे उज्ज्वल करियर को त्याग देश के इस महान हीरो ने दर-दर भटक कर देश की आजादी के लिए प्रयास किए.

महात्मा गाँधी यूँ तो किसी परिचय के मोहताज नहीं लेकिन यह राष्ट्र उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में जनते है. “गाँधीजी ने दुनिया को अहिंसा और असहयोग नाम के दो महा अस्त्र दिए.
‘अहिंसा’ और ‘असहयोग’ लेकर गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए महात्मा गाँधी, ‘लोह पुरुष’ सरदार पटेल, पंडित नेहरु, बाल गंगाधर तिलक जैसे महापुरुषों ने कमर कस ली.

90 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता का वरदान मिला. वर्षों की गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य आजादी पाई है. लेकिन आज की युवा पीढ़ी आजादी का वास्तविक अर्थ भूलती जा रही है.

पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से दूर होते जा रहे है. इस संदर्भ में किसी कवि ने खूब लिखा है :

“भगतसिंह इस बार न लेना, काया भारतवासी की
क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की”

जिस आजादी के लिए हमने देश के लिए कई महान वीरों की आहुति ली है, उस आजादी को ऐसे बर्बाद करना बिलकुल सही नही है. हमें देश को भ्रष्टाचार, गरीबी, नशाखोरी, अज्ञानता से आजादी दिलाने की कोशिश करनी चाहिए.

देश को शायद आज एक नए स्वतंत्रता संग्राम की जरूरत है. इस स्वतंत्र देश के नागरिक होने के नाते हमे अपने आप से ये वादा करना है कि हम अपने देश को विकास की ऊंचाइयों तक ले जायेंगे और भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाएगे, ताकि हमारे देशभक्तों और शहीदों का बलिदान व्यर्थ ना जाए!

स्वतंत्रता दिवस पर केवल शहीदों को याद करना, देशभक्ति की बातें करने के अलावा हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि देश के हित के लिए कुछ करें. अपने आस-पास बच्चों को शिक्षा के लिए तैयार करना, गरीब बच्चों की मदद करना, अपने दायित्वों का सही निर्वाह करना. यदि हम इन सब कुछ को ध्यान में रख कर अपना कार्य करते हैं तो हम सभी देश के सपूत कहलायेंगे.

15अगस्त, 26जनवरी केवल दो दिनों के मोहताज न बनें, मातृभूमि इन दोनों दिनों का इंतज़ार नही करती. माँ भारती तो उस दिन के इंतज़ार में है जब भ्रष्टाचार का नाम न हो, जब बेगुनाहों का कत्लेआम न हो, जब नारी की अस्मत का व्यापार न हो, जब माता पिता को वृद्ध होने का सन्ताप न हो. ऐसे दिन की इंतज़ार में मातृभूमि आस लगाए बैठी है. क्यों न हम इस कार्य में सहयोग करें,मातृभूमि की इस इच्छा को पूरा करने के खातिर एक नींव का मूक पत्थर बन जाएं!

आप सभी मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामना.
आप सदाकाल स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें..

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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