छत्तीसगढ़

सुनवाई के दौरान दो प्रकरणों में महिला आयोग ने एसडीएम को बनाया समन्वयक

जांजगीर-चांपा ।

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राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ श्रीमती किरणमयी नायक, सदस्य शशिकांता राठौर और श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने शुक्रवार को जांजगीर कलेक्टोरेट सभाकक्ष में 32 प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग ने दो प्रकरण में विवाहित महिलाओं के प्रतियोगी को क्रमशः 5 हजार, 10 हजार और 15 हजार रुपए गुज़ारा भत्ता देने का आदेश दिया। आज की सुनवाई में कुल 32 प्रकरण रखे गए थे, 7 नस्तीबद्ध, 22 प्रकरणों में पक्षकार उपस्थित थे।

एक प्रकरण में उभय पक्षों में सुलह की संभावना को देखते हुए दोनों को समझााईश दी गई एवं दोनो को 15 मार्च को जांजगीर के कार्यालय में सदस्य शशिकांता राठौर के समक्ष समस्त परिजनों को लेकर उपस्थित होने कहा गया। ताकि परिवार से जुड़ सके आवश्यकतानुसार निगरानी के लिए महिला बाल विकास के किसी पर्यवेक्षक या काउंसलर की ड्यूटी लगाई जा सकें।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका 80 वर्ष की वृद्ध महिला है और उसने अपने मकान को हड़पने और अपने असहाय स्थिति का उल्लेख किया उसने यह भी उल्लेख किया है कि तहसीलदार के आदेश को अनावेदक नहीं मान रहे है इस संबंध में दोनों पक्ष के दस्तावेज और लिखित जवाब के साथ विस्तृत रूप से लेकर जांजगीर कार्यालय में सदस्य शशिकांता राठौर के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने कहा गया ताकि इस पर निर्णय लिया जा सके।

एक प्रकरण में पति पत्नी दोनों लगभग साढे 4 वर्ष से अलग रह रहे है और बेटा 4 वर्ष उम्र का है जिसे जिसे अब तक कुछ खर्च नहीं दिया है। समझााईश दिये जाने पर अनावेदक जो कि डिप्लोमा इंजिनियर है आवेदिका और उनके बेटे के जीवन यापन के लिए 5000/ अपनी स्वेच्छा से देना स्वीकार किया गया । इस माह मार्च के आधे राशि 2500 रु. जांजगीर कार्यालय में आयोग के सदस्य शशिकांता राठौर के समक्ष उपस्थित होकर आवेदिका को देगा और हर माह के पहले सप्ताह में 1 से 5 तारीख के बीच नियत की गई तारीख पर 5000/- आवेदिका को देने का निर्णय लिया गया और 1 वर्ष पश्चात दोनों आपसी राजिनामा से तलाक के लिए न्यायालय में पेश करेंगे उस समय अंतिम भरण पोषण की राशि आपस में तय कर सकेंगे।

एक मामले में आवेदिका ने बताया कि नवम्बर 2021 से अनावेदक के साथ संयुक्त रूप से निवास कर रहे है और दोनों के बीच तालमेल बनने की संभावना है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए समझौता की स्थिति में रहने तैयार है। अनावेदक को समझाने पर आवेदिका को घर खर्च हेतु 15 हजार रुपए प्रतिमाह देने के लिए तैयार है। आवेदिका के बैक एकाउंट में जमा करेंगे और इसके अलावा कार का लोन किश्त भी आवेदिका के खाते में अनावेदक अलग से जमा कराएगा। प्रकरण 6 माह के लिए निगरानी में रहेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की तबियत खराब होने पर अनावेदक से 50 हजार रु. कर्ज लिया था और उसने अपने घर को बिक्री करने का सौदा की बात कहकर अनावेदक ने 1 लाख रू दिया था। बाकि 35 लाख देने की बात कहा था और बिना पैसा दिये धोखे से रजिस्ट्री करा दिया था। और आज तक कोई भी राशि नहीं मिली है। मेरा तीन मंजिला मकान है जिस पर आवेदिका का कब्जा है। अपना 35 लाख रु. पाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। आयोग ने उभय पक्षों को सुना। अनावेदक ने रजिस्टर्ड सेल डीड भी प्रस्तुत किया, जिसमें 5 लाख 20 हजार रु. देना उल्लेखित है। संपत्ति का मुल्यांकन 21 लाख 700 दिखाया है ऐसी दशा में इस प्रकरण उप पंजीयक विजय कुमार चांपा राजिस्ट्री कार्यालय को 31 दिसंबर 2019 को समस्त दस्तावेज खरीददार विक्रेता फिरूराम, क्रेता सुशांत रूद्र को आवश्यक रूप से लेकर उपस्थित होने कहा गया। साथ ही 5 लाख 20 हजार रुपए विक्रेता को वास्तव में मिला है कि नहीं इसकी भी जानकारी लेकर उपस्थित होने कहा गया। इस प्रकरण के आगामी सुनवाई 30 मार्च को रायपुर जिले की आगामी सुनवाई के लिए रखा गया।

इसी प्रकार एक मामले में दोनों आयोग के समझाईश पर 6 माह से साथ रहे हैं । अनावेदक स्वामी आत्मानंद स्कूल में शिक्षक है। अनावेदक को समझाईश दी गई कि राशन के अलावा 10 हजार रुपए प्रतिमाह आवेदिका को देगा। इस पर दोनों ने अपनी सहमति दी।

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