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सरिया क्षेत्र के बड़े खाद कारोबारियों को बेच दिया…

सरिया- खाद की कालाबाजारी पर कभी भी प्रशासन गंभीर नहीं रहा है। अब सरिया समिति से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक करीब 40 लाख लाख के खाद का समायोजन नहीं किया गया है। इतनी कीमत का खाद किस बेचा गया यह भी पता नहीं है। सहकारिता विभाग इसकी जांच कर रहा है। रायगढ़ जिले में खाद की कालाबाजारी का पूरा गिरोह काम करता है जिसमें समिति अध्यक्ष, प्रबंधक और निजी व्यापारी शामिल हैं। इसी गिरोह की एक कारस्तानी सरिया समिति में सामने आई है। मिली जानकारी के मुताबिक सरिया समिति को आपूर्ति की गई खाद का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है। खाद समिति में पहुंचा लेकिन किसानों को नहीं मिला।

विक्रय के बाद इसकी राशि खाते में जमा की जानी थी लेकिन खरीफ सीजन धान खरीदी समाप्त होने के बाद तक समायोजन नहीं हो सका है। खरीफ सीजन में जो खाद समिति के माध्यम से किसानों को मिलनी थी, वह व्यापारियों को बेच दी गई। पूरा ट्रक ही समिति के बजाय एक व्यापारी के गोदाम में खाली हो गया। इस खाद को विक्रय दिखाने के लिए तत्कालीन प्रबंधक गोपाल प्रधान ने किसानों के नाम से चढ़ा दिया। खाद को लोन के रूप में किसानों के खाते में एंट्री होने से धान विक्रय के बाद लिंकिंग से कटौती होने लगी। इसके बाद कई किसानों ने कहा कि उन्होंने जब इतना खाद लिया ही नहीं तो कैसे राशि काटी जा रही है।

तब पता चला कि समायोजन करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। विरोध करने के बाद उन्हें चुप कराने के लिए हथकंडे अपनाए गए हैं। किसान को मालूम ही नहीं सरिया समिति में करीब 40 लाख का यह घपला शायद जिला प्रशासन की आंखें खोल दे। खाद की राशि बकाया होने के बाद अपेक्स बैंक ने डिमांड नोट भेजा तो मामला खुल गया। सरिया समिति में ही खाद को किसानों के नाम पर चढ़ाकर बाहर ज्यादा कीमत में बेच दिया गया। लेकिन राशि जमा करने के बजाय गबन कर लिया गया है। इस बीच प्रबंधक गोपाल प्रधान से वित्तीय अधिकार छीन लिया गया है। लेकिन 40 लाख का खाद किसे बेचा गया, यह बड़ा सवाल है।

अब तक जांच हुई ही नहीं खरीफ सीजन में यूरिया तीन गुना दामों में बेचा जा रहा था तब भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही वह यूरिया था जो सरिया समिति से खरीदकर तीन गुना दामों मेंं उन्हीं किसानों को बेचा गया। लाखों रुपए का समायोजन नहीं करने के कारण सहकारिता विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन एक महीने से अधिक समय गुजर चुका है, अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है। बताया जा रहा है कि मामला दबाने का प्रयास हो रहा है।

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