दंतेवाड़ा चुनाव में कांग्रेस स्पष्ट जीत की ओर…
दंतेवाड़ा चुनाव में कांग्रेस स्पष्ट जीत की ओर…बीजेपी क्यों पिछड़ी खबर पर बने रहें
राजनैतिक पंडितों से मिले जानकारी के अनुसार- दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा राउंड-दर-राउंड स्पष्ट जीत की ओर बढ़ती जा रही हैं। ग्यारह राउंड में से सिर्फ आठवें और ग्यारहवें राउंड में ही बीजेपी की ओजस्वी कांग्रेस प्रत्याशी से करीब आठ सौ और 699 मतों से आगे रही। इसके अलावा सभी राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी अपना दबदबा बनाए रखी। देवती कर्मा स्पष्ट जीत की ओर पहुंच रही हैं। और, अभी ग्रामीण इलाके के ईवीएम खुलना बाकी है। कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों से ही ज्यादा उम्मीद है।
ज्ञातव्य है कि बीजेपी की बस्तर की इकलौती सीट दंतेवाड़ा भी कांग्रेस की झोली में जाएगी और ऐसा ही हो रहा है। दस राउंड की मतगणना हो चुकी है। भाजपा का ये बुरा हाल है कि सिर्फ 2 राउंड में बढ़त बना पाई है।
दंतेवाड़ा में कांग्रेस स्पष्ट जीत के करीब पहुंच गई है। याने एक तरह से कहें तो दंतेवा़ड़ा उपचुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। कांग्रेस वहां स्पष्ट जीत की ओर बढ़ती जा रही है। कलेक्टर से मिलें जानकारी के अनुसार 75 हजार वोटों की गिनती खत्म हो चुका है। अब करीब 40 हजार और बचे हैं।
प्रथम चरण की मतगणना
पहले चरण में कांग्रेस की देवती कर्मा को पहले चरण में 3267 मत मिले हैं वहीं बीजेपी की ओजस्वी मंडावी को 1511 वोट मिले हैं. कांग्रेस की देवती कर्मा बीजेपी से 1756 मतों से आगे है.
दूसरे चरण की मतगणना
वहीं दूसरे चरण की मतगणना में बीजेपी की ओजस्वी मंडावी को 2123 मत प्राप्त हुए हैं. कांग्रेस की देवती महेंद्र कर्मा को 3413 मत प्राप्त हुए हैं कांग्रेस बीजेपी से 2847 मत से आगे हैं.
तीसरे चरण की मतगणना
वहीं तीसरे चरण का रूझान सामने आया है. तीसरे चरण में बीजेपी को 2240 मत प्राप्त हुए हैं वही कांग्रेस को 3740 मत प्राप्त हए हैं. तीसरे चरण में कांग्रेस बीजेपी से 4278 मत से आगे है.
चौथे चरण की मतगणना
वहीं चौथे चरण का रूझान सामने आया है. चौथे चरण में बीजेपी को 3261 मत प्राप्त हुए हैं. वही कांग्रेस को 3300 मत प्राप्त हए हैं. चौथे चरण के बाद कांग्रेस बीजेपी से 4317 मतों से आगे है.
पांचवे चरण की मतगणना
पांचवे चरण की मतगणना में बीजेपी को 2954 मत प्राप्त हुए हैं. वहीं कांग्रेस को 4744 मत प्राप्त हुए हैं. पांचवे चरण में कांग्रेस बीजेपी से 6106 मत से आगे है.
छठवे चरण की मतगणना
छठवे चरण की मतगणना में बीजेपी को 2400 मत प्राप्त हुए हैं. वहीं कांग्रेस को 3219 मत प्राप्त हुए हैं. छठवें चरण में कांग्रेस बीजेपी से 6927 मत से आगे है.
सातवे चरण की मतगणना
सातवे चरण की मतगणना में बीजेपी क 3436 मत प्राप्त हुए हैं. वहीं कांग्रेस को 2610 मत प्राप्त हुए हैं. सातवें राउंड की मतगणना के बाद कांग्रेस 6101 वोट से कांग्रेस आगे है.
आठवें चरण की मतगणना
आठवें चरण में बीजेपी को 2562 मत प्राप्त हुए हैं. वही कांग्रेस को 1905 मत प्राप्त हुआ है. आठवें चरण में बीजेपी कांग्रेस से 657 मतो से आगे है. वहीं ओवर ऑल कांग्रेस बीजेपी से 5444 मत से आगे है.
नौवे चरण की मतगणना
नौवे चरण की मतगणना में बीजेपी को 2093 मत प्राप्त हुए हैं. वही कांग्रेस को 2893 मत प्राप्त हुआ है. नौवे चरण के बाद अब कांग्रेस बीजेपी से 6244 मत से आगे है.
दंतेवाड़ा उपचुनाव में काउंटिंग लिए कुल 14 टेबल लगाए गए हैं. जिनकी गणना 20 चक्रों में पूरी होगी. इस चुनावी दंगल में 9 प्रत्याशी मैदान में हैं. जिसमें मुख्य मुकाबला कांग्रेस की देवती कर्मा और बीजेपी की ओजस्वी मंडावी के बीच हैं. कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच मतगणना जारी है. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा विधानसभा सीट के लिए 23 सितंबर को मतदान हुआ था. उपचुनाव में 60.57 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जिस पर आज सुबह 8 बजे से मतों की गणना जारी है .
हालांकि, ग्रामीण इलाकों में पोलिंग कम हुई है और उधर, कम्यूनिस्ट पार्टी को भी वोट मिले होंगे। फिर, कांग्रेस नेताओं को ग्रामीण इलाके के ईवीएम पर ज्यादा भरोसा है। अभी तक काउंटिंग की स्थिति को देखते सियासी प्रेक्षकों को प्रतीत होता है कि कांग्रेस के जीत का अंतर 10 से 12 हजार का रहेगा।
वैसे, दंतेवाड़ा में जिस तरह की वोटिंग हुई था, उससे साफ हो गया था कि चुनाव का रुख कांग्रेस की ओर मुड़ गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में, जिसमें बीजेपी के भीमा मंडावी जीते थे, जिन इलाकों में 40 से 50 प्रतिशत वोटिग हुई था, उसमें इस बार 85 से 90 फीसदी मत पड़े। जाहिर है, विधानसभा चुनाव के दो साल के भीतर अगर उपचुनाव होता है और वोटिंग का परसेंटेज ज्यादा है तो उसकी सीधा लाभ सत्ताधारी पार्टी को मिलता है। दंतेवाड़ा में भी वही हो रहा है।
दंतेवाड़ा में बीजेपी एक के बाद एक गल्तियां करते रहे। चुनाव प्रभारी भी बस्तर से बाहर के लोगो को बनाया। भाटापारा विधायक शिवरतन शर्मा चुनाव प्रभारी थे। कांग्रेस ने इसे लपकनेक में कोई देर नहीं लगाई। बस्तर में प्रचारित किया गया कि 15 साल के शासन के बाद भी भाजपा को अपने किसी नेता पर भरोसा नहीं रहा। इसलिए, बाहरी नेताओं को दंतेवाड़ा का प्रभारी बनाया गया है। आखिरी समय में भाजपा एक थकी हुई पार्टी सा प्रदर्शन करते नजर आई। पार्टी के कई नेता दंतेवाड़ा गए ही नहीं। और वहां के लोकल नेताओं को भी भाजपा ने आगे नहीं किया। सियासी पंडितों का कहना है कि बस्तर के स्थानीय नेताओं को आगे रखकर पार्टी को व्यूहरचना करना था। लेकिन, बीजेपी की भी मजबूरी थी। 15 साल के राज में भाजपा के नेता इतने बड़े आसामी बन गए थे कि वहां के लोगों और वहां की समस्याओं से उनका कोई वास्ता नहीं रह गया था। केदार कश्यप
से लेकर महेश गागडा तक ने भाजपा को खत्म करने का काम किया। दोनों रायपुर, दिल्ली, हैदराबाद घूमते रहे। खानापूर्ति के लिए बस्तर जाते भी थे, तो बस्तर आईजी को बोलकर हेलिकाप्टर बुला लेते थे और रस्मी दौरा कर कुछ घंटे में रायपुर लौट आते थे। वरना, जब तक वहां बलीराम कश्यप रहे, पार्टी बेहद मजबूत रही। 2003 के चुनाव में बलीराम कश्यप के चलते ही भाजपा को सफलता मिली थी। 12 में से 11 सीटें बीजेपी की झोली में गई थी।
संसाधनों के मामले में भी भाजपा काफी पीछे रहे। लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी नेताओं ने पैसा खर्च नहीं किया। कार्यकर्ता पैसे के लिए आखिरी दिन तक चिरौरी करते रहे। कई जगह बोलने के बाद भी ऐन वक्त पर पार्टी नेताओं ने पेमेंट करने से पल्ला झाड़ लिया। भाजपा की टीम वर्क भी नहीं दिखा। पूरा प्रचार बिखरा हुआ था। लगा नहीं कि रणनीति बनकार पार्टी चुनाव लड़ रहा हो। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हुए रात-दिन एक कर दिए थे और भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी का पता हीं नहीं था। यही वजह है कि वोटिंग के दिन ही भाजपा नेताओ ने अपनी हार स्वीकार कर ली थी।
साभार-लल्लू राम डाॅट काम, न्यू पावर गेम