☆ साधनहीन स्वजातीय लोगों की अपेक्षा न करें ☆
☆ साधनहीन स्वजातीय लोगों की अपेक्षा न करें ☆
इस मांगलिक कार्य को संपन्न कराने में श्री दुबेजी जी की बड़ी उदारता रही है। ये समूह के संस्थापकों में से एक रहे हैं और इस प्रकार की वयवस्था में इनका पहले से ही सहयोग रहा है। श्री दुबे जी की उदारता एवं साधुता से हमारे मित्र-गण सबक लेंगे। हमारे पूर्वपुरुषों, ऋषियों ने यह नहीं बताया है कि हम अपने परिश्रम और खून से कमाये धन का अपव्यय करें। हमारे देश के गांव-गांव में एक वर्ग बसता है जो इस अपव्यय की परम्परा का प्रचार करता है। इन शोषकों के कारण, जहां हमें जीवन में दो कदम आगे बढ़ना चाहिए, हम पीछे हट जाते हैं। फिर, जिनके घर में दो-चार लड़कियों का विवाह करना हो तो उनकी क्या स्थिति होगी। जिन्हें समाज और देश की थोड़ी भी समझ है, वे जानते हैं कि साधनहीन व्यक्ति की क्या दशा होती है। ऐसे लोगों के सहयोग से बढ़कर कोई अन्य आदर्श कर्तव्य नहीं हो सकता। हमारे समाज में बहुतेरे धन-पशु हैं जो अपने साधन-हीन स्वजातीय लोगों को अवर्णनीय उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं और अपने को समाज का अगुआ मानते हैं। बहुत सी बच्चियों की करुण कथा सुनने को मिलती है। उनके हृदय का आह्लाद चला जाता है। माता-पिता की दयनीय दशा देखकर उन्हें असीमित क्षोभ होता है। उनके सास-ससुर उन्हें अपने वाग्वाणों से बेधते रहते हैं पर वे भी सुखी नहीं होते। वर-वधू दोनों ही पक्षों ने इस मांगलिक कार्य में अपव्यय रोक कर हार्दिक प्रसन्नता प्रदान की है।
मैं वर-वधू को आशीर्वाद देता हूं कि वे देश और समाज में जाने-माने नागरिक हों। मैं आशा करता हूं कि उनका भविष्य बहुत ही उज्जवल होगा।
।। प, पू , अघोरेश्वर ।।
।।। अघोर पीठ जन सेवा अभेद आश्रम ट्रस्ट पोंड़ी दल्हा अकलतरा ।।।