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एक चुप्पी हजारों कलह का नाश
🚩हमारे गुरूओं द्वारा चुप रहने की जो सीख हमें मिली है,
यह एक चुप्पी हजारों कलह का नाश करती है ।
यही तो वह चुपचाप, चूका-मूका बैठकर या थिर बैठकर आदमी उस चैतन्य को निहारता है कि सारी पृथ्वी उसी की है । एक ओद्र है और उस ओद्र में एक गलियारी है जिसमें हम लोग हैं । उसी का यह बगीचा है और अलग-अलग दिखाई देने वाले यह चेहरे वर्ण-वर्ण के पुष्प हैं ।
इसमें जो कुछ भी अच्छा, जिससे-जिससे जितना लगाव है, वह वहाँ तक उस सुमधुरता को प्राप्त करता है, आनन्द तथा सुख को प्राप्त करता है, शान्ति को प्राप्त करता है ।
…….अघोर वचन शास्त्र ( पृ क्र 286 )