परम पूज्य माँ गुरु के कृपा से गुंडी दर्शन आर्शीवाद का सौभाग्य …


अघोरान्ना परो मँत्रो नास्ति तत्वँ गुरो परम…
परम पूज्य माँ गुरु के कृपा से

प्रिय अघोर गुरु भाई बहन सादर प्रणाम श्री अघोरेश्वर गुरु स्मरण ॐ माँ क्रीं

बहुत समय बीत गया

उठने को राजी नही हो रहा….।

कुछ अपना आलस्य और निष्क्रियता के चलते और कुछ कतिपय लोगों की सक्रियता के….।आज मालिक की

तस्वीर देख रहा था,लगा मालिक

पूज्य मां धर्म रक्षित राम जी पूछ रहे हों,क्यों गोपाल कृष्ण नायक “देहाती” जी तुम दुसरो के समक्ष मेरा परिचय कैसे प्रस्तुत करते हो।

क्या तुम मुझे इस कारण मानते हो क्योंकि तत्कालीन समाज के बड़े बड़े साधु संत मेरे समक्ष दंडवत होते थे।क्या मेरी इन कहानियों से तुम मेरा परिचय देते हो।

क्या तुम मुझे इस कारण मानते हो क्योंकि तत्कालीन समय के कुछ प्रधानमंत्री कुछ मुख्यमंत्री और बहुतेरे मंत्री, विधायक, सांसद तथा उच्च अधिकारी मेरे आश्रम में आ मुझसे आशीर्वाद लेते थे।क्या मेरे इन कथाओं से तुम मेरा परिचय देते हो।

क्या तुम मुझे इस कारण मानते हो क्योंकि बाल्यकाल से ही चमत्कार मेरी दैनिक चर्या का हिस्सा बानी रही,असंभव को संभव करने वाली मेरी। कथाओं से क्या तुम मेरा परिचय देते हो।

क्या तुम मुझे इस कारण मानते हो कि समूचे भारतवर्ष में और विदेश में भी मेरे आश्रम स्थित है।मेरे इस भौतिक साम्राज्य की कथाओं से तुम मेरा परिचय देते हो।

मैं इन प्रश्नों के साथ और यह प्रश्न मेरे साथ मंथन कर रहे थे।मैने तो अंततः जो पाया वो आपके समक्ष रखता हूँ।

मालिक ने अघोर से भय,घृणा और भयंकरता को समाप्त कर अभय,प्रेम और सरलता का आरम्भ किया।

मालिक की आँखों मे करुणा और प्रेम झलकता है,भय अथवा भयंकरता नहीं।

मालिक ने अघोर की शक्ति को समाज के बहिष्कृत,परित्यक्त तथा दीन लोगों के संबल में बदल दिया,जिसके फलस्वरूप लोग अघोरी से डरने के बजाय उन्हें प्रेम करने लगे।

मालिक ने बताया कि गुरु अगर पूर्ण है,तो वो माँ का पर्याय है।किसी बच्चे को अपनी माँ से भय नही होता और कोई माँ अपने बच्चे को भयाक्रांत नही करती है।

मालिक ने कहा और किया भी,अगर समाज ने एक प्रतिशत उनके लिए अथवा उनकी संस्था के लिए किया तो मालिक ने उसे सौ गुना कर समाज को लौटाया।


मालिक ने अपना घर छोड़ा पूरे संसार को घर बनाया,मालिक ने अपना परिवार छोड़ा पूरा संसार उनका परिवार बन गया।


कभी भी किसी के प्रति भेदभाव नही किया।

मालिक के आस पास चमत्कार एक स्वाभाविक प्रक्रिया की तरह घटते थे।उन्होंने कभी कुछ चमत्कार दिखाने की दृष्टि से कुछ नही किया।उन्हें इन बातों की चर्चा से परहेज होता था।

मालिक के आश्रम में राजा और रंक, नेता और मतदाता एक दृष्टि से देखे जाते थे।उन्हें किसी प्रकार की मान बड़ाई से क्षोभ होता था।अभेद सिर्फ उनके कहने में ही नही रहने और करने में भी स्पष्ट दिखता था।समान व्यवहार सभी के साथ।

मालिक ने जहाँ भी आश्रम की स्थापना की उस जगह को देखेंगे तो कारण भी स्पष्ट होता है।वो ईंट से ईंट जोड़ने की इस परिपाटी में मनुष्य से मनुष्य को जोड़ते जाते थे।

मालिक ने अपने आपको हर उस मनुज को सौंप दिया जिसने मात्र श्रद्धा सहेली का आश्रय लेकर उन्हें पुकारा बिना किसी दान के बिना किसी श्रम के बिना किसी समय के मात्र श्रद्धा के वशीभूत हो सभी को उपलब्ध हुए।

माँ तों माँ है जिन्होंने जगत का दर्शन कराया उन्हें क्या शब्दों में …आप गुरुभाई बहन मालिक का परिचय किस तरह देते हैं,कृपया कमेंट कर अवश्य बताएं।
माँ मैत्रायिणी योगिनी जी के 28वां निर्वाण दिवस पर

अघोरेश्वर महाप्रभु के जन्मस्थल गुंड़ी(बिहार) में दर्शन करने का मुझे
पूज्य माँ कापालिक धर्म रक्षित राम जी के सानिध्य में
सौभाग्य प्राप्त हुआ…
आप सभी गुरु भाई-बहन भी
इस जीवन में एक बार महातीर्थ स्थल के दर्शन एक बार अवश्य करें










माँ गुरु के मामा गांव में ….







