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14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें इसका इतिहास और महत्व

कानपुर : मकर सक्रांति एक लोकप्रिय त्योहार है, जिसे लोहड़ी के एक दिन बाद भारत में मनाया जाता है। इसे फेस्टिवल काइट्स के नाम से जाना जाता है। दृक पंचांग के मुताबिक मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। यह त्योहार देवता सूर्य (भगवान सूर्य) को समर्पित है और यह सूर्य के पारगमन के पहले दिन को मकर में चिह्नित करता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। मकर संक्रांति शिशिर ऋतु की समाप्ति एवं वसंत के आगमन का प्रतीक है।

इसको लेकर अलग-अलग मान्यताए हैं। मान्यता है कि भीष्म पितामह को इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ही अंतिम सांस ली थी ताकि उनका पुनर्जन्म न हो। वह अर्जुन द्वारा रचित बाणशैया पर पड़े वे उत्तरायण अवधि की प्रतीक्षा करते रहे। सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन है। वहीं एक अन्य किवदंती है कि संक्रांति एक देवी का नाम है। संक्रांति ने सनकारासुर नाम के एक दैत्य का वध किया था।

मकर सक्रांति के दिन लोग गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, शिप्रा या नर्मदा नदियों में स्नान किया जाता है। इसके अलावा इस दिन विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से लोगों को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के दुष्चक्र से मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। मकर सक्रांति के दिन खिचड़ी बनाना शुभ माना जाता है।

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