खरसिया के राजनीतिक माहौल की चर्चा है, जहां भाजपा के प्रत्याशी अपनी ताकत दिखाते हुए।
गिरधर गुप्ता,गुरुपाल भल्ला जैसे धूरधर रणनीतिकार के साथ मैदान में उतर चुके हैं। वहीं खरसिया कांग्रेस परिवार अपने लोकप्रिय विधायक उमेश पटेल के सानिध्य में अपने नगर का भविष्य को देख रहे हैं,यह चुनाव दोनों दलों के लिए अहम हो सकता है, क्योंकि यहां पार्टी का प्रदर्शन अगले चुनावों पर भी असर डाल सकता है ऐसा राजनैतिक पंडितों कहते हैं।
भाजपा: भाजपा के पार्षद और अध्यक्ष ने छत्तीसगढ़ सरकार के कद्दावर वित्त मंत्री ओपी चौधरी के उपस्तिथि में शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन दाखिल किया है। यह संकेत देता है कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ मजबूती से चुनावी मैदान में है। भाजपा संगठन अक्सर चुनावी रणनीति और अनुशासन के लिए जानी जाती है, जिससे वह अपनी पकड़ खरसिया में मजबूत करने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस: कांग्रेस समर्थित पार्षद ,अध्यक्ष प्रत्याशी ने विधायक उमेश पटेल की मौजूदगी में नामांकन आज करने जा रहे है। विधायक उमेश पटेल क्षेत्र के लोकप्रिय,मजबूत नेता माने जाते हैं और उनका व्यक्तिगत प्रभाव खरसिया कांग्रेस परिवार को एक बढ़त दे सकता है। उनकी रणनीतिक मौजूदगी से कांग्रेस को स्थानीय समर्थन जुटाने में मदद मिलेगी।
कौन किस पर भारी?
खरसिया विधायक उमेश पटेल ने पिछले विधानसभा चुनाव में ओपी चौधरी को खरसिया विधानसभा क्षेत्र से पटखनी दे विधायक के पद पर आसीन खरसिया विधानसभा के मतदाताओं ने कराया था, नगर पालिका परिषद का चुनाव यह पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों,उम्मीदवारों की लोकप्रियता और क्षेत्रीय समीकरणों पर निर्भर करेगा।
यदि भाजपा संगठित और रणनीतिक रूप से काम करती है,तो वह चुनाव में कड़ी चुनौती दे सकती है।कांग्रेस विधायक उमेश पटेल के प्रभाव और स्थानीय स्तर पर लोगों के साथ जुड़ाव का फायदा उठा सकती है।
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल के प्रभाव और स्थानीय स्तर पर लोगों के साथ जुड़ाव का फायदा उठा सकती है।
चुनाव में फोकस मुद्दे: विकास कार्य, स्थानीय समस्याएं, और उम्मीदवारों की छवि होगी। दोनों पार्टियों के शक्ति प्रदर्शन से यह चुनाव रोमांचक और प्रतिस्पर्धात्मक दिख रहा है।
आपको क्या लगता है, किसकी स्थिति मजबूत है?