छत्तीसगढ़

हड़ताल के जरिए अराजकता फैला रहे स्टील उद्योग…

भारत सरकार द्वारा पूरे देश मे यह व्यवस्था कायम की गई है। फिर भी यदि कोई दूसरा रास्ता अपनाता है तो वह अराजकता फैलाने का दोषी है।

रायपुर। अखिल भारतीय विद्युत अभियंता संघ के संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत विनियामक आयोग के पूर्व सचिव पी.एन. सिंह ने उच्चदाब स्टील निर्माताओं द्वारा विद्युत दरों को लेकर की जा रही मांग पर विस्तार से तकनीकी पक्ष तथा अपने विचार प्रस्तुत किये हैं।

 सिंह ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा सचिव ऊर्जा पी. दयानंद को पत्र प्रेषित करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024- 25 के लिये विद्युत दरों के निर्धारण की प्रक्रिया अन्तर्गत समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर सभी पक्षों को अपनी सुझाव एवं आपत्ति कहने की बात कही। जिस पर कोई भी चाहे तो वह अपना लिखित आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।

नियामक आयोग का यह फैसला अर्द्धन्यायिक फैसला है यदि कोई इस फैसले से असहमत है तो वह अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रखकर वहां से न्याय प्राप्त करने को स्वतंत्र है।

भारत सरकार द्वारा पूरे देश मे यह व्यवस्था कायम की गई है। फिर भी यदि कोई दूसरा रास्ता अपनाता है तो वह अराजकता फैलाने का दोषी है। यदि किसी अदालती कार्यवाही में किसी को न्याय नहीं मिलता है तो उसे उच्च अदालत में अपील करने का अधिकार है। यही व्यवस्था विद्युत नियामक आयोग के प्रकरण में भी है। यदि किसी अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के बजाय सड़कों पर हुडदंग करते चला जाता है तो कानूनी कार्यवाही एवं सजा का हकदार है।

विद्युत नियामक आयोग के आदेश से स्टील उद्योग का एक वर्ग यह महसूस करता है कि उसे नुकसान हो रहा है, तो उसके पास अपीलेट ट्रिब्यूनल में जाने का रास्ता है और अभी भी अपील करने का समय है यदि अपीलेट ट्रिब्यूनल से उन्हें न्याय मिलता है तो उन्हें वहां जाना चाहिये। हड़ताल करके प्रदेश में माहौल को खराब करने का प्रयास होता है। किसी भी अपीलीय फैसले के विरूद्ध कोई राज्य सरकार कदम नहीं उठा सकती है।

स्टील उद्योग से संबंधित लोग यह चाहते हैं कि शासन की तरफ से कुछ अलग से राहत मिल जाये। बिजली की दरे तो सभी उद्योगों के लिये बढ़ी हैं. सभी छूट की मांग करेंगे। सभी को राज्य सरकार नहीं दे सकती हैं क्योंकि वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। बजट में प्रावधान करने के लिये सरकार को विशेष विधान सभा सत्र आयोजित करना होगा जो कि वर्तमान में उचित नहीं दिखाई पड़ता है।

स्टील उद्योगों से जुड़ें लोगों का कहना है कि पूरे प्रदेश में सात लाख रोजगार प्रदाय किये गये हैं, यह बहुत बड़ी अतिरेक है। लोहे के उद्योगों में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग काम कर रहे हैं और इनकी कुल संख्या 50 हजार के आसपास है। छत्तीसगढ़ में 30 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं जबकि एक प्रतिशत ’आदिवासियों को भी लोहे के धन्धे में काम नहीं मिला है।

आरोप है कि छत्तीसगढ़ में लोहे के उद्योगों में लगे हुये जो लोग हैं उन लोगों के साथ में है जो स्पंज आयरन बनाते हैं और जो 33 के.वी. पर केवल 577 उद्योग बिजली पाते हैं। शेष मात्र 26 स्पंज आयरन बनाने वाले हैं जब भी बिजली की दरें घटती हैं उसी अनुपात में स्पंज आयरन बनाने वाले अपने सामान की कीमत बढ़ा देते हैं जिसकी वजह से एमएसपी वाले बडी संख्या में नुकसान में रहते हैं। घटी हुई बिजली की दरों का कोई लाभ फरनेश वालों को नहीं मिलता है, सारा मुनाफा स्पंज आयरन इकाईयां चट कर जाती हैं।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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