हाथियों के झुंड में आया फिर एक नन्हा मेहमान, तीन महीने में दूसरे शावक का जन्म,ग्रामीण छठ्ठी बनाने की तैयारी में
खरसिया। जिले जंगल के आबोहवा हाथियों का स्थायी रहवास बनता जा रहा है। जिले के खरसिया रेंज में तीन महीने में हाथियों के झुंड में अब एक और नन्हा मेहमान का आगमन हो गया। करीब तीन माह पहले खरसिया रेंज के कक्ष क्रमांक 1154में एक शावक का जन्म हुआ था। अब खरसिया वन परिक्षेत्र के बिंजकोट सर्किल के कक्ष क्रमांक 1172 रिजर्व फारेस्ट झीटीपाली जंगल में हाथी के एक शावक के जन्म लेने की बात सामने आई है।
बताया जाता है कि झीटीपाली गांव के पास के जंगल में एक मादा हाथी ने शावक को जन्म दिया है। गांव के लोगों का कहना है कि रात भर हाथी के चिंघाड़ते की आवाज आती रही। ग्रामीणों ने चिंघाड़ सुनी तो वन कर्मचारियों को इसकी सूचना दी गई। इसके वनकर्मी व ग्रामीण झीटीपाली के जंगल में पहुंचे और दो दिनों तक जंगल की खाक छानते रहे, ड्रोन के सहायता भी विफल हो चुका थे इस दौरान ग्रामीणों के मदद से जंगल में पैदल खोजबीन दौरान उन्हें हाथी के बच्चे का जन्म होने के प्रमाण मिले। जिसके बाद जंगल में शावक जन्म देने के निशान के कुछ प्रमाण की तस्वीर भी विभागीय अमला द्वारा ली गई।
विभागीय अमले का कहना है कि सात जुलाई को हाथी शावक के जन्म लेने के प्रमाण मिले हैं।इस स्थिति में अब वह शावक करीब दस दिन का हो गया है। कहा जा रहा है कि जब तक शावक पूरी तरह चलने फिरने नहीं लगता तब तक मादा हाथी इस जंगल को छोड़कर नहीं जाएगी। जिससे संभावना जताई जा रही है कि हाथियों का झुंड कुछ महीने तक इसी जंगल में डेरा डाले रह सकता है।खरसिया रेंजर गोकुल प्रसाद यादव ने बताया कि इससे पहले करीब तीन माह पूर्व खरसिया रेंज के कक्ष क्रमांक 1154 में एक हाथी शावक का जन्म हुआ था।इस तरह तीन माह में दो शावकों ने खरसिया रेंज में जन्म लिया है।झुंड में पहले से ही हाथी का एक शावक था, अब नये नन्हें मेहमान के आने से झुंड में तीन शावक हो गए हैं। बिंजकोट , घाठादाई मंदिर छोटे जामपाली, पठानकोट,डारआमा सिंघनपुर से बरभौना सड़क आस-पास के जंगल के ओर न जाएं हाथीयों के साथ बच्चे होने कभी कभी आक्रमक हो जाता है ।
ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार जंगली हाथियों के बच्चे अपने क्षेत्र में जन्म लेने से ग्राम, क्षेत्र वासियों के लिए अच्छा शुभ संकेत मानते हैं और छठ्ठी कार्यक्रम करते हैं जिस जगह पर हाथी बच्चे का जन्म दिया रहता है वहां चावल दाल चढ़ा कर पूजा अर्चना किया जाता है ऐसा पूर्व में भी किया गया है ऐसे ही एक दो दिन में कार्यक्रम किए जाने की खबर मिल रहा है।