रायगढ़। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज 28 जुलाई को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित हरेली तिहार के मौके पर राज्य के गौठानों से जुड़ी जैविक खाद उत्पादक महिला स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहन राशि (बोनस) का चेक वितरित किया और समूह की बहनों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि समूह की महिला बहनों ने अपनी लगन और मेहनत से स्वावलंबन की एक नई मिसाल कायम की है। महिला बहनों की मेहनत का ही यह परिणाम है कि उन्हें जैविक खाद के विक्रय के एवज में मिलने वाले लाभांश के अतिरिक्त प्रति किलो एक रूपया की दर से यह अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 7442 महिला स्व-सहायता समूहों को 17 करोड़ रुपये और सहकारी समितियों को 1.70 करोड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 7 जुलाई 2022 को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में जैविक खाद का निर्माण कर रहीं महिला स्व-सहायता समूहों को 7 जुलाई 2022 तक बिक चुकी जैविक खाद की प्रति किलो मात्रा पर एक रुपये तथा प्राथमिक सहकारी समितियों को 10 पैसे की दर से प्रोत्साहन (बोनस) राशि देने का निर्णय लिया गया था। गौरतलब है कि राज्य के गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी बीते दो सालों से की जा रही है। क्रय गोबर से महिला स्व-सहायता समूह की बहनें वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट प्लस का निर्माण करने के साथ-साथ दीया, गमला, अगरबत्ती, गो-काष्ट आदि का निर्माण कर रही है। समूहों द्वारा उत्पादित जैविक खाद का विक्रय किसानों एवं शासन के विभिन्न विभागों को किया जा रहा है। 7 जुलाई 2022 की स्थिति में राज्य में महिला समूहों द्वारा लगभग 21 लाख क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन किया जा चुका था, जिसमें से सोसायटियों के माध्यम से 17 लाख क्विंटल जैविक खाद का विक्रय हुआ था। मंत्री परिषद में विक्रय हो चुकी खाद की प्रति किलो की मात्रा पर महिला समूहों को एक रूपया तथा प्राथमिक सहकारी समितियों को 10 पैसे के मान से प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया था, जिसके परिपालन में आज महिला समूहों और सहकारी समितियों को प्रोत्साहन राशि का वितरण किया गया। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो महिला समूहों को जैविक खाद के उत्पादन पर निर्धारित लाभांश के अलावा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि बोनस भी दे रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल महिला समूहों के आत्मबल को बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढऩे में मददगार साबित होगी।