
शुरू किया भेड़-बकरी पालन का व्यवसाय
आज और कल दोनों को संवार रही गोधन न्याय योजना
गोधन न्याय योजना कर रहा तरुराम के सपने साकार
रायगढ़ । गोधन न्याय योजना छिछोरउमरिया के तरुराम यादव के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आया है। चरवाहे का काम करने वाले तरुराम ने पिछले 4 माह में गोबर बेचकर 96 हजार रुपये की कमाई की है। इन पैसों से उसने दीपावली में अपनी बिटिया को सोने का लॉकेट खरीद कर तोहफे में दिया है अपने लिए भेड़-बकरी पालन का नया काम भी चालू कर लिया है। तरुराम कहते हैं मुख्यमंत्री के इस न्याय से अब हमारे सपने साकार हो रहे हैं।

पांचवी तक पढ़े तरुराम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं। उनके तीन बच्चे हैं। परिवार के पास केवल 30 डिसमिल ही जमीन है, थोड़ी बहुत और जमीन लीज में लेकर खेती करते थे। मवेशियाँ चराने पर कुछ पैसे गांव वालों से मिल जाते थे। जो केवल गुजर बसर लायक ही होता था।

गोधन न्याय योजना से गोबर बेचकर मिले पैसों से उन्होंने दीपावली में अपनी बिटिया को उन्होंने सोने का एक लॉकेट तोहफे में दिया है और अपने लिए भेड़ बकरी पालन का व्यवसाय चालू किया है। जिसके लिए 25 भेड़ और 02 बकरियां खरीदी हैं। इस योजना से अपने परिवार को खुशहाली की ओर बढ़ता देख प्रफुल्लित तरुराम उनकी अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने, मकान को अच्छा बनाने व बच्चों को बेहतर तालीम दिलवाने की सोच रखते हैं।
उनका कहना है गोधन न्याय योजना शुरू कर के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं हमारे सर पर अपना हाथ रख दिया है। इस योजना से हमे हमारे ग्रामीण परिवेश और जीवन शैली के अनुरूप कार्य करते हुए ही सीधा आर्थिक लाभ मिल रहा है। इससे अच्छी बात और क्या होगी। गोबर बिक्री के साथ ही गौठानों में समूहों द्वारा बनाये जा रहे वर्मी कम्पोस्ट से रोजगार सृजन के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।
उन्होंने अपना अनुभव बांटते हुए बताया कि पिछले कुछ समय से लोगों का खेती और पशुपालन के प्रति रुझान कम होने लगा था। लेकिन कृषक हितैषी छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए किसानों और ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखकर जो विभिन्न ग्राम सुराजी योजनाएं प्रारंभ की हैं। उनसे अब गांवों की तस्वीर बदलने लगी है। लोगों में खेती किसानी को लेकर फिर से दिलचस्पी बढ़ रही है। गोधन न्याय योजना की खास बात यह है कि इससे मिलने वाला भुगतान चक्र 15 दिनों में पूरा हो जाता है, जिससे पशुपालकों के हाथ में महीने में दो बार राशि आती है। इससे दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही भविष्य के लिए योजना बनाना आसान हो जाता है।




