सफलता का शॉर्टकट नहीं होता: पंडित कान्हा शास्त्री
सफलता का शॉर्टकट नहीं होता: पंडित कान्हा शास्त्री
@✍कान्हा शास्त्री
हम सबको ज्ञात होना चाहिए कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है । जीवन में सफलता पाने के लिए कड़े-परिश्रम के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है ।
और हमारी पीढ़ी अपने बाद आने वाली पीढ़ी को यही बात सिखाती आयी है कि सफलता बहुत कठोर परिश्रम से ही मिलती है । ऐसे कितने ही उदाहरण है, कि मामूली पृष्ठभूमि के लोग केवल अपनी मेहनत से शिखर पर पहुंचे । देश के दो राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और एपीजे अब्दुल कलाम की सफलता से सबक लिया जा सकता है । दुनिया में पहली पीढ़ी की ऐसी अनेक सफल और नामी हस्तियां हैं, जिन्हें विरासत में अपने परिवार से कुछ नहीं मिला, पर वे अपनी लगन से आगे बढ़े ।
▫इनमाइकल डेल : सफलता का शॉर्टकट नहीं होता!
सफल हस्तियों की किस्मत बहुत अच्छी थी या फिर इनमें एक ऐसी प्रतिभा थी, जो दूसरे लोगों में नहीं पायी जाती ? क्यों कुछ नामी कंपनियां महज कुछ सौ डॉलर या कुछ हजार रुपयों से अपना व्यवसाय शुरु करके कुछ ही वर्षों में सफलता के ऊंचे पायदान पर जा पहुंची ? माइकल डेल की कंपनी डेल इंक की शुरुआत 1000 डॉलर से हुई और सालभर में वह 60 लाख डॉलर की बिक्री करने वाली कंपनी क्यों और कैसे बन गयी ?
▫मार्क जुकरबर्ग : सफलता का शॉर्ट कट नहीं होता!
कैसे साधारण परिवार में जन्में कुछ युवा आज के सबसे अमीर और सफल युवाओं में शामिल हो गये ?मशहूर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को किसी पहचान की जरुरत है क्या ?
▫जैक कैनफील्ड: सफलता का शॉर्ट कट नहीं होता!
आखिर ‘चिकन सूप फॉर द सोल’ के सह लेखक जैक कैनफील्ड एक सामान्य वक्ता से अरबपति लेखक कैसे बन गये ?यह सब किस्मत का खेल नहीं था ।” दुनिया की इन नामी हस्तियों ने कोई शॉर्टकट न अपनाकर मेहनत से यह मुकाम हासिल किया । दरअसल सफल लोग कोई अलग काम नहीं करतें, बल्कि वे काम को अलग ढंग से करते हैं । “
▫ओपी चौधरी: सफलता का शॉर्ट कट नहीं होता!
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे कम उम्र में पिता का साथ छूटना मां भी 4th तक पढ़ी थी लेकिन इनके मन में कलेक्टर बनने का दृढ़ निश्चय आया कहां से? (भाई ! मै तो आेपी के कलेक्टर बनने के बाद ही जाना कि ये ऐसा पद है जिसमें पूरे जिले का दायित्व निर्वहन करने होते हैं) जी हां ऐसा ही हुआ ओपी के साथ मां को लेकर पेंसन के लिए जाते थे कलेक्टर ऑफिस देखा कि कलेक्टर भी क्या चीज़ है लोग आश लेकर आते हैं! क्यों न मैं भी कलेक्टर बन जाऊं ! और वहीं से शुरुवात हुई कलेक्टर बनने का सफर ! प्रथम प्रयास में सफलता हासिल नहीं हुई तब भी उन्होंने अपना संकल्प नहीं बदला और आखिर कार कड़ी मेहनत के बाद सत्य संकल्प का फल मिल गया 2005 में उन्होंने आईएएस पास की और एक अपनी विशिष्ट पहचान बनाई ।
जब शॉर्टकट से सफलता नहीं मिलती, तो जाहिर है कि लंबे रास्ते पर चलकर ही इसे हासिल किया जा सकता है । इसके लिए कुछ ऐसे साथियों की जरुरत होती है, जो इस सफल में प्यार से साथ दें और मनोबल बनाए रखें । ये साथी हैं –
#एकाग्रता : सफल होने के लिए एकाग्रता का होना जरुरी है । एकाग्रता यानी किसी भी एक ही विषय पर पूरा ध्यान दिया जाना । किसी व्यक्ति को तब तक सफलता नहीं मिल सकती, जब तक कि वह एकाग्र न हो । बिना रुचि के एकाग्र होना मुश्किल है ।
#समय : सफलता प्राप्ति में समय का काफी महत्त्व है । जिसने समय के महत्त्व को जान लिया, उसने सबकुछ पा लिया । अत: किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समय-प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट) जरुर करें । नहीं तो आपको कहना पड़ सकता है, ‘मैंने समय को खोया, समय ने मुझे। ’
#शक्ति-सामर्थ्य : अपनी शक्ति-सामर्थ्य का पता होना चाहिए । हमेशा लक्ष्य ऐसा चुनें, जो अपनी शक्ति-सामर्थ्य में हो । उदाहरण के लिए, किसी की रुचि दर्शन शास्त्र में सफलता प्राप्त करने की हो, तो उसे जबरदस्ती इंजीनियरिंग या डॉक्टरी के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए ।
#सत्य संकल्प युक्त कर्म : एक बार मंजिल तय करने के बाद जी-जान से लग जाएं । इसमें कोई कोताही न बरतें अपने इरादों पर दृढ़ रहें और कभी डिगें नहीं सफलता के लिए बिना थके हुए लगातर कर्म करते रहना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि ‘कर्म मानव स्वतंत्रता की शाश्वत घोषणा है । अपना कार्य सही दिशा में ही करना चाहिए ।’
#आशावादिता : हमेशा आशावादी बने रहना चाहिए । नकारात्मक विचार कभी मन में न लाएं । इससे आत्मविश्वास कम होता है ।
एक कहावत भी है कि ‘मन के जीते जीत है और मन के हारे हार।’…