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सफलता की कहानी : डॉ.खुशबू साहू और स्पीच थेरेपिस्ट प्रतिभा गवेल के प्रयासों से दिव्यांग बच्चों को मिल रहा नया आत्मविश्वास

समावेशी शिक्षा अंतर्गत फिजियो थेरेपी एवं स्पीच थेरेपी से मिल रहा दिव्यांग बच्चों को नया जीवन

सीख रहे अधिगम के नए आयाम
डॉ. खुशबू साहू और स्पीच थेरेपिस्ट प्रतिभा गवेल के प्रयासों से दिव्यांग बच्चों को मिल रहा नया आत्मविश्वास

रायगढ़, 12 अगस्त2021/ दिव्यांगों के सामने कई बार जटिल सामाजिक चुनौतियां आती है। ऐसे में दिव्यांग बच्चों का सामाजिक रूप से स्वावलंबी होना नितांत आवश्यक है। दिव्यांग बच्चे शारीरिक या मानसिक नि:शक्तता के कारण समाज की मुख्यधारा के साथ कदमताल करने में खुद को कमजोर महसूस करते है। किसी प्राकृतिक या अनुवांशिक कारण, असंतुलन, असाध्य बीमारी, दुर्घटना व शारीरिक मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को सामान्य जीवन निर्वहन में तथा शिक्षा प्राप्त करने में कदम-कदम पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जबकि ये लोग सामान्य बच्चों की तरह ही बहुमूल्य मानवीय संपदा है। दिव्यांग बच्चों को समावेशी गुणात्मक शिक्षा देने के रास्ते में बेशक चुनौतियां हों, लेकिन शासन की दिव्यांग बच्चों हेतु समावेशी शिक्षा अंतर्गत राजीव गांधी शिक्षा मिशन रायगढ़ समग्र शिक्षा में नियुक्त डॉ. खुशबू साहू (एम पी टी आर्थो) और स्पीच थैरेपिस्ट प्रतिभा गवेल द्वारा दिव्यांग बच्चों को दी गई। फिजियोथैरेपी और स्पीच थेरेपी ने दिव्यांग बच्चों को एक नया जीवन तथा उनके मन में एक ऐसा नया आत्मविश्वास दिया है, जिससे वे शिक्षा के विशिष्ट अधिगम के नए आयामों को सीखने के काबिल बन रहे हैं।

एमपीटी आर्थो डॉक्टर खुशबू साहू ने 23 जून से 31 जुलाई 2021 तक फिजियोथैरेपिस्ट के रूप में राजीव गांधी शिक्षा मिशन रायगढ़ समग्र शिक्षा के तहत समावेशी शिक्षा अंतर्गत जिले के विभिन्न विकासखण्डों में फिजियोथेरेपी दी। इन्होने रायगढ़ ब्लॉक में 24, तमनार के 05, घरघोड़ा के 02, बरमकेला के 01, सारंगढ़ के 05, खरसिया के 02 और धरमजयगढ़ के 05 दिव्यांग बच्चों सहित कुल 44 ऐसे दिव्यांग बच्चों को फिजियोथेरेपी दी, जो सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, कंजेटियल डिफॉरमेटी जैसे कंजेटियल डिसलैक्सेशन ऑफ हिब, क्लब फुट, इक्वीनस फुट, स्पाइन, डिफॉरमेटिस जैसे स्कोलियोसिस कायफॉसिस, मस्कुलर डायस्ट्रोफाइस, मेंटल रिटारडेशन विद लोको मोटर डिसेबिलिटी मल्टीपल डिसेबिलिटिस जैसी विकलांगता से ग्रसित थे, उन्हे फिजियो थेरेपी देकर, उन्हे एक नया जीवन और आत्मविश्वास दिया है। इस दौरान फिजियोथैरेपिस्ट डॉ.खुशबू साहू ने दिव्यांग बच्चों के पालकों की भी काउंसलिंग कर उनके बच्चों की विकलांगता और बीमारी की स्थिति, भविष्य में सुधार व प्रगति तथा बच्चों के लिए डेली होम एक्सरसाइज सहित उन्हें क्या करना है और क्या नहीं, इस बारे में विस्तार से समझाया। इसके साथ ही दिव्यांग बच्चों के डाइट, पोषण एवं उनकी हाइजीन के बारे में भी विस्तार से बच्चों एवं उनके पालकों को समझाया।
         

वाणी एवं भाषा रोग विशेषज्ञ स्पीच थैरेपिस्ट प्रतिभा गवेल ने दिनांक 23 जून से 31 जुलाई 2021 तक जिले के विभिन्न ब्लॉकों में स्पीच थेरेपी देते हुए रायगढ़ ब्लॉक में 21, तमनार 6, घरघोड़ा 01, बरमकेला 01, सारंगढ़ 06, खरसिया 03 एवं धरमजयगढ़ में 07 दिव्यांग बच्चों सहित कुल 45 बच्चे जो श्रवण बाधित, मानसिक मंदता, मानसिक पक्षाघात, अपने उम्र से कम बोलने वाले बच्चे, तुतलाना, हकलाना, ऑटिज्म, आवाज का मोटा या पतला होना, डाउन सिंड्रोम जैसे व्याधि एवं विकलांगता से ग्रसित थे। उन बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार स्पीच थेरेपी प्रदान की तथा श्रवण बाधित बच्चों को श्रवण यंत्र प्रदान करके उसके उपयोग के बारे में पालकों की भी काउंसलिंग करते हुए उन्हें विस्तार से समझाया। शासन की समावेशी शिक्षा अंतर्गत दिव्यांग बच्चों को प्रदाय की जा रही स्पीच थेरेपी देकर प्रतिभा गवेल ने दिव्यांग बच्चों के जीवन में एक नई आशा और उम्मीद का संचार किया। उल्लेखनीय है कि शासन की समावेशी शिक्षा अंतर्गत दिव्यांग बच्चों को दी जा रही फिजियो थेरेपी व स्पीच थेरेपी की बदौलत ही बच्चों की विकलांगता की स्थिति में काफी सुधार दिखाई दे रहा है।

क्या कहते हैं दिव्यांग बच्चों के पालकगण
दिव्यांग बच्ची के पिता संतोष चौहान ने कहा कि मैं बीआरसी रायगढ़ में अपनी दिव्यांग बच्ची को गोद में उठा कर लाया था। जहां शासन द्वारा दिव्यांग बच्चों हेतु समावेशी शिक्षा अंतर्गत मेरी बच्ची पद्मिनी की फिजियोथेरेपी कर उन्हें उपकरण (वाकर) प्रदाय किया गया। फिजियो थेरेपी के पश्चात यहां प्रदत वाकर की सहायता से मेरी बच्ची पद्मिनी जब वापस गई तो प्रदाय किए गए वाकर की सहायता से चल पाने की वजह से मेरे और मेरी बच्ची के चेहरे पर एक खुशी तथा मन में आत्मविश्वास था। मैं शासन तथा राजीव गांधी शिक्षा मिशन रायगढ़ समग्र शिक्षा तथा फिजियोथैरेपिस्ट डॉ खुशबू साहू का बहुत-बहुत धन्यवाद प्रकट करता हूं।
       

दिव्यांग बच्चे के पिता ईश्वर सारथी ने बताया कि जब मैं तमनार के समावेशी शिक्षा अंतर्गत फिजियोथेरेपी के लिए अपने बेटे के साथ यहां पहुंचा तो, मेरे बेटे को (फूट डिफॉरमेटी इक्विनस डिफॉरमेटी) की वजह से चलने के दौरान पैर में बहुत दर्द होता था। यहां मेरे बेटे व मुझे बताया व समझाया गया कि किस प्रकार केन की सहायता से सावधानी से चलना है। साथ ही मेरे बेटे की फिजियोथेरेपी भी की गई। फिजियोथेरेपी की मदद से और प्रदत्त केन की सहायता से मेरे बच्चे के पैर में होने वाले दर्द की तीव्रता लगभग 50 प्रतिशत कम हो गई। सफल इलाज से मैं एवं मेरे बेटा बहुत खुश हैं तथा मेरे बच्चे के मन में भी अब एक आत्मविश्वास आ गया है कि अब उसे चलने में दर्द नहीं होगा।
         

एमपीटी आर्थो डॉ.खुशबू साहू ने कहा कि फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ही एक शाखा है। इसमें उपचार की एक अलग पद्धति होती है। जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ  मूवमेंट के द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। इस थेरेपी का उद्देश्य रोग के कारण को जानकर उस रोग से रोगी को मुक्त करना होता है।
         

जिला शिक्षा अधिकारी आर.पी.आदित्य ने कहा कि समावेशी शिक्षा आज प्रत्येक शिक्षण संस्थान, समाज व देश की महती आवश्यकता है। जहां बालक-बालिका समावेशी शिक्षा की सहायता से सामान्य रूप से शिक्षा ग्रहण करते हैं। जिसकी सहायता से वे अपने आप को सामान्य बालक के समान बनाने का प्रयास करते हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य समावेशी शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से बालकों के लिए एक ऐसा अवसर प्रदान करना है जिसमें, दिव्यांग बालक बालिकाओं को सामान्य बालकों के साथ मानसिक रूप से प्रगति प्राप्त करने का अवसर मिले। जिसमें शिक्षा की समानता के सिद्धांत का अनुपालन के साथ शिक्षा के माध्यम से शैक्षिक एकीकरण भी संभव हो।

डीएमसी आर.के.देवांगन ने बताया कि समावेशी शिक्षा सभी बच्चों में समानता के अधिकार की बात करता है और इसके लिए इसके सभी शैक्षिक कार्यक्रम इसी प्रकार से तय किए जाते हैं जहां विशिष्ट बालकों को समावेशी शिक्षा के द्वारा सामान्य विद्यालय में सामान्य बालकों के साथ कुछ अधिक सहायता प्रदान करने की कोशिश की जाती है। जिसका मुख्य उद्देश्य अधिगम के ही नहीं बल्कि विशिष्ट अधिगम के नए आयाम को खोलना है। इनमें बालकों को समान शिक्षा का अवसर मिले और उन्हें प्रभावशाली वातावरण उपलब्ध हो।

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