असदुद्दीन ओवैसी का आरएसएस पर हमला, कहा- संघ नहीं चाहता मुस्लिम लें राजनीति में हिस्सा
हैदराबाद से सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा है कि केवल एक समुदाय के पास सभी राजनीतिक शक्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघ चाहता है कि मुस्लिमों को राजनीति में भाग लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘हिंदुत्व इस झूठ पर बना है कि केवल एक समुदाय के पास सभी राजनीतिक शक्ति होनी चाहिए और मुसलमानों को राजनीति में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। संसद और विधानसभाओं में हमारी अधिक उपस्थिति संघ के हिंदुत्व के खिलाफ चुनौती का काम करती है, यदि हम अगर अपनी मौजूदगी कायम कर पाए तो जश्न मनाएं।’
बिहार में एआईएमआईएम ने जीती पांच सीटें
ओवैसी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब उनकी पार्टी एआईएमआईएम ने बिहार चुनाव में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत दर्ज की हैं। हालांकि, पार्टी को सीमांचल की उन सीटों पर जीत हासिल हुई है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है।
दूसरी तरफ, ओवैसी की यह टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि संसदीय चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व घटा है। ऐसे में बिहार में एआईएमआईएम की जीत के कई मायने सामने आ रहे हैं।
मुस्लिमों के बड़े नेता बन उभरे ओवैसी
दरअसल, बिहार में मिली चुनावी सफलता के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम मुस्लिमों की राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिमों के बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं।
1984 से हैदराबाद से लगातार जीत
गौरतलब है कि एआईएमआईएम की स्थापना 1927 में की गई थी। शुरुआत में पार्टी को केवल तेलंगाना में जीत हासिल हुई। वहीं, पार्टी को 1984 से हैदराबाद लोकसभा सीट पर लगातार जीत हासिल होती रही है। दूसरी तरफ, तेलंगाना तक सीमित पार्टी का अब महाराष्ट्र और बिहार में भी खाता खुला है।
2014 में तेलंगाना में जीती सात सीटें
2014 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी को सात सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, एआईएमआईएम को 2014 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत हासिल हुई। दूसरी तरफ, बिहार में मिली जीत के बाद अब पार्टी के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में पार्टी का अगला निशाना पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है।