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रूसी यान सुयोज में एक सीट के लिए 67 अरब रुपये की कीमत चुकाता है नासा, स्‍पेस एक्‍स से होगी निर्भरता कम

अमेरिका ने हाल ही में चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन में भेजा है। इसके लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एलेन मस्‍क की कंपनी स्‍पेस एक्‍स के रॉकेट फॉल्‍कन 9 की मदद ली थी। इसके जरिए नासा ने जहां अपने तीन अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस में भेजा है वहीं एक जापानी अंतरिक्ष यात्री भी तीसरी बार आईएसएस गया है। इस स्‍पेस मिशन की अपनी एक अलग खासियत है जिसको समझना बेहद जरूरी है। इससे पहले आपको बता दें कि अमेरिका अपने स्‍पेस प्रोग्राम के लिए या अपने अंतरिक्षयात्रियों को स्‍पेस स्‍टेशन में भेजने और उनकी वापसी के लिए रूसी अंतरिक्ष यान सुयोज की मदद लेता रहा है। ये कहना गलत नहीं होगा कि अपने स्‍पेस प्रोग्राम के लिए वो काफी हद तक रूस पर निर्भर रहा है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि रूसी अंतरिक्ष यान सुयोज में एक अंतरिक्ष यात्री की सीट के लिए नासा को कितनी कीमत चुकानी होती है। ये कीमत कई मायनों में हमारी सोच से अधिक है। दरअसल, नासा इसके लिए 67 अरब रुपये (9 करोड़ यूएस डॉलर) तक की कीमत चुकाता है।

यहां पर ये भी कहना गलत नहीं होगा कि स्‍पेस मिशन या स्‍पेस तकनीक में आज भी रूस की बादशाहत चलती है। बावजूद इसके कि अमेरिका ने इस क्षेत्र में काफी तरक्‍की की है। लेकिन स्‍पेस एक्‍स के आने के बाद उम्‍मीद की जा रही है कि नासा और अमेरिका रूस पर अपनी निर्भरता को कम या खत्‍म कर सकता है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुयोज में सीटें खरीदना बंद कर सकती है। दरअसल, इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में उस वक्‍त हुई थी जब नासा ने स्‍पेस एक्‍स और बोइंग के साथ मिलकर एक करार किया था और इन दोनों को सुयोज की तरह की कुछ तैयार करने को कहा था, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को स्‍पेस स्‍टेशन भेजा जा सके। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अमेरिका ने अपने यान का इसके लिए आखिरी बार वर्ष 2011 में इस्‍तेमाल किया था। इसके बाद से नासा इसके लिए रूसी यान का ही इस्‍तेमाल करता आ रहा है, जिसके लिए उसको एक मोटी कीमत चुकानी होती है।

स्‍पेस एक्‍स के यान फॉल्‍कन के आने के बाद जिस तरह की उम्‍मीद की जा रही है उससे नासा के प्रमुख जिम ब्रिडेनस्‍टाइन कम ही इत्‍तफाक रखते हैं। उनका मानना है कि स्‍पेस एक्‍स के आने के बाद भी अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा की निर्भरता रूसी यान से पूरी तरह से खत्‍म नहीं होगी। उनका मानना है कि अमेरिका और रूस इस संबंध में एक समझौता कर सीटों की अदला-बदली पर विचार जरूर कर सकते हैं। इसके तहत अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री जहां सुयोज का इस्‍तेमाल कर सकेंगे वहीं रूसी अंतरिक्ष यात्री कमर्शियल रॉकेट पर जा सकेंगे।

जहां तक स्‍पेस एक्‍स की बात है तो आपको बता दें कि उसने अपने क्रू ड्रैगन कैपसूल को रेजिलिएंस नाम दिया है। दूसरी बार नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्‍पेस एक्‍स का इस्‍तेमाल किया है। इसकी मदद से अंतरिक्ष यात्री 27 घंटों में आईएसएस तक पहुंच गए। ये वहां पर करीब छह माह तक रहेंगे। स्‍पेस एक्‍स और भविष्‍य की अंतरिक्ष यात्राओं को लेकर मौजूदा राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति जो बाइडन दोनों ही काफी उत्‍साहित हैं। दोनों ने ही इस सफलता के लिए स्‍पेस एक्‍स को बधाई दी है। हालांकि इस लॉन्चिंग के समय एलन मस्‍क मौजूद नहीं थे। इस लॉन्चिंग को करीब से देखने वालों की संख्‍या इस बार काफी कम थी। आपको बता दें कि मई 2020 में स्‍पेस एक्‍स ने दो अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस तक पहुंचाया था। साथ ही इसी यान से अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित वापस भी आए थे।

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