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कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता थे अहमद पटेल, पार्टी के पास नहीं है अब कोई विकल्प! पढ़े रिपोर्ट

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज और वरिष्ठ नेता कह जाने वाले गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद रहे अहमद पटेल का बुधवार को निधन हो गया। पटेल पिछले एक महीने से कोरोना वायरस से संक्रमित थे। जिसके बाद से उनका इलाज चल रहा था। उनके अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था।

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उनका गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था और इसी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। अहमद पटेल के निधन के बारे में उनके बेटे फैसल पटेल ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बुधवार तड़के अहमद पटेल सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर निधन हो गया।

सोनिया गांधी ने कहा- साथी खो दिया
गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर में पैदा हुए अहमद पटेल कांग्रेस के सबसे पूराने और विश्वसनीय नेता रहे। उनके जाने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘ अहमद पटेल के जाने से मैंने एक ऐसा सहयोगी खो दिया है जिनका पूरी जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित था।

सोनिया गांधी ने शोक संदेश में कहा, अहमद पटेल की निष्ठा और समर्पण, अपने कर्तव्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, मदद के लिए हमेशा मौजूद रहना और उनकी शालीनता कुछ ऐसी खूबियां थीं, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती थीं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘मैंने ऐसा कॉमरेड, निष्ठावान सहयोगी और मित्र खो दिया जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता। मैं उनके निधन पर शोक प्रकट करती हूं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती हूं।’

ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक जीवन
अहमद पटेल तीन बार, साल 1977, 1980,1984 में लोकसभा सांसद रहे और पांच बार, साल 1993,1999, 2005, 2011, 2017 से वर्तमान तक राज्यसभा सांसद रहे। पटेल ने अपना पहला चुनाव अपने जन्मस्थान भरूच से 1977 में लड़ा था। जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। उन्होंने फिर यहीं से 1980 में चुनाव लड़ा और एक बार फिर उन्हें जीते मिली। इसके बाद उन्होंने 1984 में तीसरे लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की थी। अहमद 1993 से राज्यसभा सांसद थे और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में 2001 से काम कर रहे थे।

तालुका अध्यक्ष से प्रदेश अध्यक्ष तक
उन्होंने 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद पर रह कर संभाली। अहमद पटेल सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी भी रहे। इसके बाद 1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव बने रहे। पटेल सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रहे।पटेल जनवरी 1986 में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने, जो वो अक्तूबर 1988 तक रहे। 1991 में उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया, जो वो अब तक थे।

सीताराम केसरी जब कांग्रेस के अध्यक्ष थे तब 1996 में पटेल को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था। पटेल सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, मानव संसाधन मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय की मदद के लिए बनाई गईं कमेटी के सदस्य भी रह चुके थे। अहमद पटेल 2006 से वक्फ संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य थे। अहमद दूसरे ऐसे मुस्लिम थे, जिन्होंने गुजरात से लोकसभा चुनाव जीता था। साथ ही वो गुजरात यूथ कांग्रेस कमेटी के सबसे युवा अध्यक्ष तो थे।

कांग्रेस के पास नहीं दूसरा पटेल
अहमद पटेल एकलौते ऐसे नेता थे कांग्रेस में जिनकी जगह कोई और नहीं ले सकता। उन्हें 10 जनपथ का चाणक्य भी कहा जाता था। उन्हें कांग्रेस और गांधी परिवार के सबसे करीबी माना जाता था। अहमद पटेल की एक खासियत थी कि वो कभी भी कैमरे, मीडिया और खबरों में नहीं रहे। वो बेहद ताकतवर असर वाले नेता थे लेकिन उन्हें हमेशा लो-प्रोफाइल रहना ही पसंद था। पटेल कभी चुप और सीक्रेटिव रहते थे। उनकी सादगी और सलाह देने का हुनर कांग्रेस के किसी दूसरे नेता में नहीं है।

पटेल में जितना ठहराव था वो किसी नेता में नहीं देखा गया। उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक सभी का साथ दिया और हमेशा पीछे रहते हुए पार्टी के हित में काम किया। उन्होंने यूथ कांग्रेस की नींव तैयार की थी जिसका सबसे अधिक फायदा सोनिया गांधी को हुआ था। वो सोनिया गांधी के सबसे करीबी थे इसलिए भी उनके जाने से सोनिया को गहरा दुःख पहुंचा है।

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