केलो कपूत शिव राजपूत की चिट्ठी केलो के नाम
“महंगाई बेलगाम जिला प्रशासन मौन और (छ.ग.) सरकार अंजान”
✍@ रायगढ़ शिव राजपूत
केलो आई तेरे को एक गाना याद होगा हाय महंगाई हाय-हाय महंगाई तू कहाँ से आई और इसके बाद वह गाना भी याद होगा संय्याँ तो बहुते कमात हैं महंगाई डायन खाये जात है।
केलो आई छोड़ो ये बात पुरानी बहरहाल इस देश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है कोरोना का कहर उरोज पर है महंगाई आसमान छू रही है कोई कुछ बोलने-सुनने वाला नहीं है।
फिलवक्त मैं पुसौर की बात कर रहा हूँ मगर यही हाल पूरे रायगढ़ जिले में है पूरे छत्तीसगढ़ में है और पूरे देश में है।
(फाईल फोटो)
अमूमन ठंड के पहले दौर में सभी सब्जी-भाजी सस्ते हुआ करते थे
आज चल रही महामारी के बयार टैक्स के चलते तों महंगे नहीं हो गये हैं बाजार में कोई भी सब्जी 50 रू. किलो से कम नहीं हैं वहीं सभी दीगर किराना सामानों के भाव भी बेतहाशा बढ़े हुये हैं
वहीं दवाईयों के दाम कोई नहीं पूछता जबकि एक ही दवाई अलग-अलग दुकानों पर अलग दामों में मिलती है।
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को सरकार को इसकी जानकारी नहीं है? लेकिन तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारी सब के सब अंजान बने बैठे हैं या फिर यूं कहें की इन्हें बाजार नियंत्रित करने आता ही नहीं।
बहरहाल केलो आई अपनी सारी काबिलियत को ताक में रखकर …सिर्फ और सिर्फ सरकारी डमरु बजाने वाले भीम सिंह जी से कहना संविधान ने आपको बहुत अधिकार दिया है शपथ के मुताबिक उसका स्तेमाल भी कर लें और बढ़ती बेलगाम होती महंगाई को नियंत्रित करने का जतन भी कर लें….
✍@ रायगढ़ शिव राजपूत के लेख