ओडिशा के मयूरगंज जिला अंतर्गत तेतुलिंगा में रहने वाली पल्लवी पांडा (28) जब साल 2016 में वह होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी। इस दौरान वह नेहरू नगर के गणेश चौक स्थित रेकी सेंटर में उपचार पद्धति सीखने के लिए जाने लगी। रेकी सेंटर के संचालक थानेश्वर प्रसाद शर्मा (55) ने उसे खुद को एंटी करप्शन ब्यूरो का अफसर बताया। उसने युवती और उसके पिता को मेडिकल ऑफिसर पद पर नौकरी लगाने का झांसा दिया। युवती उसकी बातों में आकर उसे 9 लाख रुपए दे दी। लेकिन, उसने नौकरी नहीं लगवाई। इस बीच थालेश्वर प्रसाद शर्मा फरार हो गया।
सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर लेता था रुपए
इससे पहले उसने इसी तरह जबड़ापारा में रहने वाले कॉलेज संचालक अशोक कुमार पांडेय के परिवार के सदस्यों को शासकीय नौकरी लगाने का दावा किया था और 15 लाख रुपए वसूल लिया था। पुलिस दोनों मामलों में अपराध दर्ज कर आरोपी की तलाश कर रही थी। लेकिन, आरोपी फरार मिला। इस दौरान पुलिस की टीम ने उसके दुर्ग के मोहननगर और सकरी के ठिकानों में भी दबिश दी थी।
हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में छिपा था ठग
कुछ दिन पहले बिलासपुर से एक प्रशासनिक अफसर अपने परिवार के सदस्यों को लेकर टूर पर उत्तराखंड गए थे। तभी हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में उन्होंने ठग को देखकर पहचान लिया। उन्होंने सिविल लाइन थाना प्रभारी परिवेश तिवारी को उसकी तस्वीर भेज कर पहचान कराई।
आरोपी की पुख्ता पहचान होने के बाद TI तिवारी ने SSP पारुल माथुर को इसकी जानकारी दी और पुलिस की टीम को हरिद्वार भेजा।
साधना गृह में मिला फर्जी अफसर
पुलिस की टीम फर्जी ACB अफसर को खोजते हुए जब हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम गई,तब वह धोती-कुर्ता पहने टीका लगाए मिला। आरोपी थालेश्वर प्रसाद आश्रम के देवात्म मंदिर के साधना गृह में तंत्र साधना कर रहा था। टीम ने उसे पकड़कर अपनी पहचान बताई और उसे गिरफ्तार करने की जानकारी दी। इसके बाद पुलिसकर्मी उसे लेकर बिलासपुर आ गए।
TI बोले- 70 लाख रुपए से अधिक की ठगी
TI परिवेश तिवारी ने बताया कि, आरोपी थालेश्वर प्रसाद शर्मा के खिलाफ सिर्फ दो लोगों ने करीब 25 लाख रुपए वसूली कर धोखाधड़ी करने का केस दर्ज कराया है। जबकि, उसने 15 से 20 लोगों से 70 लाख रुपए से अधिक की वसूली की है। उसकी गिरफ्तारी के बाद कई शिकायतकर्ता सामने आएंगे। फिलहाल पुलिस आरोपी से घटना के संबंध में पूछताछ कर जानकारी जुटा रही है। इसके लिए उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
कई साल तक जमाये रखा था कारोबार
आरोपी थालेश्वर प्रसाद इतना शातिर ठग था। वह खुद को सेंट्रल ACB का अधिकारी बताता था, और दफ्तर पूछने पर ऑफिस गोपनीय होने की बात कहता था। उसने कई सालों तक लोगों को उपचार क्रिया सिखाने व उनका इलाज करने के बहाने अपने झांसे में लेता रहा, और फिर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लेने लगा। जब उसे लगा कि, उसका भांडा फूटने वाला है तो वह फरार हो गया।