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ताश के पत्तों में जोकर क्यों होता है? खेलते वक्त क्यों काम नहीं आता- जाने ताश की गड्डियां का रहस्य

ताश के पत्ते खेलना कोई गलत बात नहीं है लेकिन जब लोग इसका जुआ खेलने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो यह काफी खतरनाक साबित हो जाता है।

ऐसे में कहा जाता है कि ताश खेलने वालों का घर बर्बाद हो जाता है, दरअसल इसमें ताश के पत्तों की कोई गलती नहीं है बल्कि ताश के पत्ते तो वह चीजें सिखाते हैं जो आम आदमी अपनी पूरी जिंदगी नहीं सीख सकता।

एक समय पर जब लोगों को कैलेंडर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी तो वह 52 पत्तों के जरिए 52 सप्ताह की गणना कर लेते थे। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस गिनती को पूरा करने के लिए ताश की गड्डी में जोकर को भी इस्तेमाल किया गया था। आपको बता दें कि पूरे साल के भीतर 52 सप्ताह मौजूद होते हैं। साल में 4 ऋतुएं भी आती हैं। चार ऋतु 3 महीने के अंतराल पर देखने को मिलती हैं। कुछ इसी प्रकार से ताश के पत्तों को बनाया गया है जिसमें 52 पत्ते 52 हफ्तों के बारे में जानकारी देते हैं।

ऐसे में 3 बड़े कार्ड जो होते हैं वह बेगम, बादशाह और गुल्ला का प्रतिनिधित्व करते हैं। चार ऋतु जो होती है वह ईंट, पान, चिड़ी और हुकुम को दर्शाती हैं।

हर सूट में 13 पत्ते दिए गए होते हैं, हिंदू पंचांग के मुताबिक 13 दिन भगवान शिव का होता है। ऐसे में इस दिन शिवरात्रि मनाई जाती है प्रदोष का व्रत भी इस दिन किया जाता है। यदि हम 52 ताश के पत्तों का हिसाब निकाले तो हमें साल के 52 सप्ताह हासिल करने के लिए 364 को 7 से भाग देना पड़ता है लेकिन जब हम ऐसा करते हैं तो हमारे पास 1.25 का मान बाकी रह जाता है जिसको जोड़कर 365.25 मिलता है। इस मांग को पूरा करने के लिए जोकर का प्रयोग किया जाता है।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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