
रायपुर. कोविड मरीजों का इलाज कर उन्हें राहत प्रदान करने के मामले में छत्तीसगढ़ का एम्स अव्वल है। यहां अब तक 33 सौ से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है। वहीं अन्य एम्स की तुलना में यहां के आईसीयू में मृत्युदर भी सबसे कम है और कोविड वार्ड में इलाज के दौरान एक भी मरीज की जान नहीं गई है।छत्तीसगढ़ का एम्स देश में नए एम्स के मुकाबले कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज में पहले स्थान पर है, वहीं एनसीआई झज्जर (हरियाणा) के समकक्ष है। देश के केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों के तुलनात्मक अध्ययन से कई तथ्य स्पष्ट होते हैं कि एम्स कोविड मरीजों के इलाज में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। एम्स रायपुर ने अब तक 3305 कोविड-19 रोगियों का इलाज किया है। इसी अवधि में एम्स दिल्ली ने 2310 कोविड रोगियों का उपचार किया है। ये दोनों संस्थान दिल्ली और एनसीआर में स्थित हैं और संसाधनों के लिहाज से काफी समृद्ध हैं।
देश के सबसे पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक पीजीआई, चंडीगढ़ ने अब तक 1006 और जेआईपीएमईआर, पुडूचेरी ने 2351 कोविड-19 पॉजिटिव का उपचार किया है। एम्स जोधपुर, पटना, ऋषिकेश की तुलना में रायपुर एम्स में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा तक रोगियों का उपचार हो चुका है। एम्स के आईसीयू वार्ड में वर्तमान में 70 बेड उपलब्ध हैं, जिनमें 40 कोविड-19 वार्ड में जबकि 15-15 इमरजेंसी और पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में हैं। इन दोनों विभागों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में आने वाले रोगी कोविड-19 पॉजिटिव निकल रहे हैं। प्रतिबद्धता और समर्पण जरूरी : डा. नागरकर निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा है कि यह सभी आंकड़े एम्स रायपुर की प्रतिबद्धता और समर्पण को दर्शाने के लिए काफी हैं। सभी चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कर्मचारी छह माह से दिन-रात बिना अवकाश के निरंतर कोविड-19 रोगियों की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 वार्ड में अब तक एक भी मृत्यु न होना दर्शाता है कि चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ रोगी की स्थिति बिगड़ते ही उसे आईसीयू या एचडीयू में एडमिट कर लाइफ सपोर्ट सिस्टम प्रदान करते हैं।




