डामर घोटाले में इन चार अफसरों के खिलाफ होगा FIR दर्ज
बता दें कि वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडे ने सन् 2014 में डामर घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक से 1200 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें 17 सड़कों के निर्माण में करीब 200 करोड़ रुपये अधिक का घोटाला किया गया है।
इस याचिका में दस्तावेजों के साथ जानकारी दी गई थी कि एक ही बिल लगाकर कई सड़कों के निर्माण के लिए डामर खरीदी और निर्माण कार्य दर्शा दिया गया था। अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से इसमें भ्रष्टाचार हुआ। सन् 2019 में इस याचिका को शासन के लिखित आश्वासन के बाद निराकृत कर दिया गया था।
समिति से कराई गई जांच
शासन के निर्देश पर एसीबी ने तीन अधिकारियों की एक समिति बनाई जिसे एक माह के भीतर घोटाले की जांच करके रिपोर्ट देनी थी। पर यह रिपोर्ट बहुत विलंब से तैयार हुई। पीडब्ल्यूडी ने मार्च 2022 में जांच प्रतिवेदन के साथ पत्र लिखकर एसीबी से कहा कि बेमेतरा से मुंगेली तक की बनाई गई 17 सड़कों में तत्कालीन परियोजना अधिकारी एससी त्रिवेदी, आरवाय सिद्दीकी, जे एम लुलु, कार्यपालन अधिकारी एन के जयंत तथा कंसल्टेंसी फर्म रेनारडेट एसए घोटाले के जिम्मेदार पाए गए हैं, इन पर कार्रवाई की जाए।
ACB ने दोबारा की जांच
एसीबी ने इस प्रतिवेदन के आधार पर पुनः जांच की और उक्त अधिकारियों तथा कंसल्टेंट कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी। यह अनुमति नहीं मिली, तब पांडेय की ओर से हाईकोर्ट में दोबारा याचिका दायर कर कहा गया कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में देर कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को शासन की ओर से बताया गया कि एसीबी को FIR दर्ज करने की अनुमति दे दी गई है। एफआईआर शीघ्र दर्ज की जाएगी।