लिंक ( maharaja chakradhar indian classical music ) से होगा भव्य प्रसारण
रायगढ़ । डिजिटल चक्रधर समारोह का शुभारंभ 22 से 31 अगस्त तक के लिये आरम्भ हो चुका है जिसमे आगामी 29 अगस्त को रात 8 से 9 बजे शहर के प्रसिद्ध लोक एवम भजन गायक दीपक आचार्य द्वारा छतीसगढ़ लोक संस्कृति पर गीतों की प्रस्तुति दी जाएगी उनके चाहने वाले बेशब्री से कार्यक्रम का इंतजार कर रहे है।
संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह का जन्म स्थल जिसे कला एवं संस्कृति की नगरी रायगढ़ कही जाती है
जहां कला की खुशबू हर तरफ बिखरी हुई है उन्हीं खुशबू को चहुँ ओर फैलाता एक कलाकार दीपक आचार्य पिता शशिधर आचार्य बेलादुला के प्रतिष्ठित ब्राम्हण परिवार से हैं जिनकी लगन बचपन से ही संगीत की ओर रही मेहनत लगन और माता गौरी आचार्य के आशीर्वाद से रायगढ़ ही नहीं अपितु विभिन्न मंचों से नाम कमाया और पहचान बनाई चार भाई बहनों में सबसे छोटे दीपक अपने नाम को सार्थक करते हुए संगीत के क्षेत्र में रोशनी ला रहे हैं लेखन गायन,वादन, अभिनय, कंपोजर,मिमिक्री के साथ कई एल्बम और फिल्म के निर्माता निर्देशक भी है सरल स्वभाव के साथ परिवार दोस्त और समाज में अलग से पहचाने जाते हैं पत्नी सुनीता आचार्य और पुत्र शौर्य आचार्य के सहयोग से निरंतर संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं दीपक ने बताया कि संगीत भगवान का अनुपम उपहार है जो मुझे ईश्वर की कृपा से कुछ अंश मिला है ।
तथा इसे सीखी नहीं जाती बल्कि साधना की जाती है दीपक आचार्य ने संगीत में भाव संगीत गायन पर संगीत भूषण, संगीत विशारद प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से किया। एवं लोक संगीत में डिप्लोमा खैरागढ़ से किया विभिन्न मंचों में सम्मानित होने के साथ-साथ राज्य स्तरीय सांस्कृतिक दूत अवॉर्ड एवं राष्ट्रीय स्तर पर भगवान बुद्ध फैलोशिप नेशनल अवॉर्ड दिल्ली में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के हाथों मिला छत्तीसगढ़ की लोक कला एवं पारंपरिक लोक गीतों को जन जन तक पहुंचा कर बरकरार रखना चाहते हैं ताकि लोग आधुनिकता के दौर में रीति रिवाज एवं परंपराओं को ना भूल जाए।
दीपक ने कई गीत लिखे और उन्हें वीडियो एल्बम में स्वर भी दिया जैसे “हरियाली रथ” पर्यावरण की सुरक्षा और जागरूकता हेतु बनाई गई इन गीतों के लिए दीपक को स्तंभ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया कोसमनारा स्थित बाबा धाम में बैठे तपस्वी सत्यनारायण बाबा के लिए उनके जीवन चरित्र पर प्रथम गायक के रूप में अपना स्वर दिया और कई इन के एल्बम एवं फिल्म जैसे हलधर बने बाबा सत्यनारायण, रोताड़ी हॉरर फिल्म बूड़त लइका बचाये, चांद जैसे गोरी, कलयुग के भगवान साईं और सत्यनारायण मोर मोहनी जोगनी ,वन देवी आदि में अपना स्वर ,गीत एवं अभिनय कर अमिट छाप छोड़ी है,पूर्व में दीपक ने चक्रधर समारोह के मंच से माननीय मुख्यमंत्री की उपस्थिति में लोक गायन एवम नरवा गरवा घुरवा बारी योजनाबद्ध गीत गाकर भरपूर ताली बटोरी थी, ऐसे लोकगायकों को प्रशासन के द्वारा मौका दिया जाये तो निश्चित ही वे शासन के योजनाओं के प्रचार प्रसार के साथ छतीसगढ़ की लोक संस्कृति को भी संजो कर रख सकते है।