माँ
मुस्कुराइये और चेहरों को मुस्कान दीजिये,

मुस्कुराइये और चेहरों को मुस्कान दीजिये,
उम्र के हर दौर का पूरा मजा लीजिये.

उम्र जन्म के साथ ही घटना शुरू हो जाता है और हम कहते है कि बड़े हो रहे हैं. जब हम छोटे होते है तो सोचते है कब बड़े होंगे. जब बड़े हो जाते है तो सोचते है काश फिर से बच्चा बन जाते. उम्र के अंतिम पड़ाव बुढ़ापे से हर कोई दूर रहना चाहता है.
उम्र बढ़ता है बच्चे से जवान होते हैं. जिम्मेदारियाँ बढ़ने लगता है और ख़ुद को परेशान पाते हैं. उम्र बढ़ने का साथ साथ तजुर्बा भी बढ़ने लगता हैं. जिंदगी और दुनिया की हकीकत समझ में आने लगता हैं. जवानी में बचपन की बातें और बुढ़ापे में जवानी की बातें अक्सर याद आता हैं. कुछ लम्हें ऐसे भी होते हैं जो आँखें नम कर जाता हैं




